Neeraj   (Neeraj #feelingsnyou)
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Joined 8 May 2020


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Joined 8 May 2020
18 APR AT 11:58

"नाम में सुकून"

घर की शांत दीवारों के बीच,
अकेले रहकर एक बात समझ आई —
जीवन को चलाने के लिए
हर समय किसी इंसान की आवश्यकता नहीं होती।

आवश्यकता होती है तो केवल भगवान के नाम की,
जो प्रत्येक श्वास में समा जाए,
जो हर दुःख में सहारा बन जाए।

कर्म करते रहो, पर मन उसी में लीन रहे,
नाम का जप जैसे कोई मधुर भजन,
जो दिन की थकान हर ले,
और रात्रि की नीरवता में दीपक बन जाए।

दुनियादारी के कोलाहल से कुछ पल दूर,
भीड़ से हटकर स्वयं के समीप आना,
अपने अस्तित्व को अनुभव करना —
यही है सच्चा जीवन।

स्वयं में मग्न रहना कोई एकांत नहीं,
बल्कि वह एक अंतरंग भेंट है,
जो केवल आत्मा और परमात्मा के बीच होती है।

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8 APR AT 18:19

नज़रें धुंधली, यादें धुंआ, ख्वाब हुए बेगाने,
इंतज़ार, वादे, जज़्बात, सब किस्से पुराने।

एकतरफा रिश्ता भी, अब लगता है भरम सा,
खुद से ही बिछड़ा हूँ, ये कैसा है सितम सा।

कहाँ जाके ठहरूँ मैं, खुद को ही खोकर,
अजनबी सा हो गया, अपनी ही नज़र में रोकर।

मिलन के सपने थे, बिछोह की ये शाम है,
खो गया हूँ खुद में, ये कैसा मुकाम है।

सब कुछ छूटा पीछे, अब क्या तलाशूँ मैं?
खुद को ही ढूंढता हूँ, किस राह पे चलूँ मैं?

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24 MAR AT 7:44

एक ऐसी दवा, जो आँखों का मैल धो दे,
हँसते चेहरों का छुपा गम खोल दे।
प्यार का छल, फ़रेब का जाल दिखा दे,
अपनों के सच का, कड़वा स्वाद चखा दे।

दिखा दे वो सच, जो परदों में छुपा है,
दिखा दे वो दर्द, जो मुस्कान में दबा है।
दिखा दे वो झूठ, जो रिश्तों में पला है,
दिखा दे अपनों का, वो रूप जो बदला है।

मुझे वो दवा दे, जो दृष्टि को तीक्ष्ण करे,
मुझे वो दवा दे, जो भ्रम का हर पर्दा हरे।
मुझे वो दवा दे, जो सत्य का दर्पण बने,
मुझे वो दवा दे, जो जीवन के रंग पहचाने।

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19 MAR AT 23:26

शहर की हर साँस में मेरी बेचैनी समाई है,
तुम अनजान बनो, ये कैसी दिल की रुसवाई है?
मोहब्बत की हदें पूछती हो? कैसी नादानी छाई है,
ये दिल ही जानता है, कितनी ये सदियों की गहराई है।

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18 MAR AT 14:07

मन भटका, पथ धुंधलाया, कैसा ये भरम है?
चाहा कुछ और, पाया कुछ और, ये कैसा करम है?
खुद से ही उलझा हूँ, सवालों के घेरे में,
समझ न आए, क्या सही, क्या बस वहम है?

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17 MAR AT 20:42

दिल अपना समझकर, किसे हाल-ए-दिल सुनाएँ हम,
ज़रूरत के तराज़ू में, प्यार भी अब तौलते हैं सब।
यादों की ठंडी आहों में, तन्हाई से लिपटे हैं हम,
ज़रूरतें पूरी होते ही, अजनबी बन जाते हैं सब।

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19 OCT 2024 AT 10:46

Waqt per hi pure ho jaye khawab toh acha hain

Har baar Sabar ka fal milta nhi hota 😴

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15 OCT 2024 AT 0:27


है इंतज़ार आज भी
एक शिकायत का जो तुम मुझसे करती
मेरा हाथ थाम के तुम मुझसे झड़ती
है इंतज़ार अब भी तेरा
और होगा हमें आखिरी साँस तक भी
कि शायद तुम कहो नीरज हा मुझे भी है प्यार तुमसे

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13 OCT 2024 AT 8:50

Teri yaadon ke sahare kat to jayegi zindagi
Mager
A dost sath jine ki Chahat thi humarai

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14 JUL 2024 AT 18:37

Kinny :-- AAJ SUNDAY HAIN

Kinna :-- MUJHE MERE monday KA INTZAR RHEGA

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