ख़्वाहिशें
मेघा बन बरसे थे कभी,
यूं हीं नहीं काले बादल थे छाए।
दिल चाहता है कि जब बरसे खुशियां,
बिखरे जज़्बातों का सिलसिला सिमट जाए।
है ख़्वाहिश इस दिल की,
जब हो सवेरा, सितारें भी टिमटिमाए।
टूटे फिर एक तारा आसमां से,
और टूटे दिल को फिर जोड़ जाए।
सिखा दे वक़्त हमें भी सलीका,
कि सब्र आंखों को आ जाए।
वक़्त-बेवक़्त हो जाती हैं आंखें नम,
काश! जागूं ख़्वाबों में और हक़ीक़त सो जाए।
तूफानों ने संभलना सिखाया,
बिन लड़े कैसे वापस आए!
दबी पड़ी है, एक कश्ती की ख्वाहिश
कि ये ज़मीं कभी आसमां सी हो जाए।
खुली किताब है ज़िंदगी,
पर कुछ हीं समझ पाए।
अब लिखनी है वो कहानी,
कि कहानी और ज़िन्दगी का फ़र्क मिट जाए।
बहुत तेज भागते हैं रास्ते,
काश! इस बार मंज़िल ठहर जाए।
जब मिलूं मनचाही ज़िंदगी से,
रोती आंखों में भी आंसू मुस्कुराए।
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कश्ती वो मेरी डूबी नहीं,भूल जाती हूँ।💫
©Neelu K.
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आंसू मुस्कुराये
मेघा बन बरसे थे कभी,
यूं हीं नहीं काले बादल थे छाए।
अब जब कभी बरसेंगी खुशियां,
बिखरे जज़्बातों का सिलसिला सिमट जाए।
है ख़्वाहिश इस दिल की,
जब हो सवेरा, सितारें भी टिमटिमाए।
टूटे फिर एक तारा आसमां से,
और सब कुछ जोड़ जाए।
सिखा दे वक़्त हमें भी सलीका,
कि आंखों को सब्र आ जाए।
वक़्त-बेवक़्त हो जातीं हैं आंखें नम,
काश! जागूं ख़्वाबों में, तो हक़ीक़त सो जाए।
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घूमता रहा पहिया ज़िन्दगी का, क़याम ढूंढ़ते हुए,
मन के शोर ने हीं, मन को संभलना सिखा दिया।
रौशनी जीत गई, अंधेरों से लड़ते हुए,
वक़्त ने जब हौसलों को परछाई बना दिया।।
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हम तूफानों के खिलाड़ी,
आता है लहरों से खेलना।
चुनौतियों के आगे घुटने नहीं टेकते,
जीत या हार को तय करता है हौसला।।
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जानता है नादान दिल मेरा,
कि हर पल तुम्हारा साथ न होगा।
दरमियां हैं फ़ासले, और दिल को हसरत है बस तेरी,
आशिक़ी का इससे मुश्किल इंमतिहान न होगा।
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जज़्बात की लहरें,
कलम हाथों में पकड़े,
खोल रहीं हैं गिरहें सभी,
मन का समंदर क्यूं मांझी को जकड़े।
परवाज़ है परिंदों जैसी,
उनका ठिकाना बना आसमान।
कोई सरहद नहीं जानता,
जब पन्नों पर उतरता है तूफ़ान।
रेत की तरह फ़िसले अरमानों ने,
दोबारा उसी दर्द से मिलवाया।
कैद हो रहें हैं कुछ लम्हें, दिल को थामें,
वक़्त ने जैसे ख़ुद को पन्नों पर है दोहराया।-