Neelima jain   (बहती भावना)
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Joined 1 June 2019


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16 MAR AT 21:34

किस लफ्ज़ से किस तरह का पैगाम दूं,
इश्क़ आबाद करता हैं बर्बादी को क्यूँ इल्ज़ाम दूं,
महबूब की याद में तड़पने का किस्सा आम हैं
असली नशा तो इश्क़ हैं शराब तो यूँ ही बदनाम हैं..!!

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16 MAR AT 21:26

When Love Runs Race
Holding Lover's Finger
Even God Moves Away

आशिक की उंगली थामकर
इश्क़ जब दौड़ लगाता है
उस आशिक की राह से
खुदा भी दूर हट जाता हैं

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16 MAR AT 21:16

वो क्या दिल तोड़ेगा,
जब प्रीत लगाई खुद से
खामोशी गहना है दिलदार का
बुजदिल दहाड़ेगा जोर से

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15 MAR AT 12:08

होशोहवास रहा नहीं
जबसे ख्याल उनका रहा
उलझन बढ़ती गई जेहन में
इश्क़ में उनके दिल बीमार हुआ
क्यूँ उस अजनबी की खातिर
सब कुछ दाॅंव लगा दिया
जो कुछ सुकून था मेरा
इक पल में उसने सब चुरा लिया..!!

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15 MAR AT 11:46

जुबां को खामोश रखकर ,
मन के दरिया की धार सुनती हूँ,
जमाना लफ्ज़ बोलता हैं,
और मैं किरदार सुनती हूँ..!!

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15 MAR AT 11:41

ये कुसूर हैं दर्पण का, या मेरी नज़र बीमार हो गई
नज़र जाती है जहाँ भी मैं बस तेरी कायल हो गई

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15 MAR AT 0:32

#तकदीर #
बस लड़ना मेरी तकदीर में,
रण में तू लड़कर दिखा,
लहरा दे झण्डा जीत का,
या जंग में मरकर दिखा,

दिखा जलवा ऐसा कि,
कायनात भी मुस्कुरा दें,
इसांन तो इसांन क्या ,
वो खुदा भी सीस झुका दें,

बिना कुछ खास किए,
खास कुछ बनता नहीं,
आसान सफर और सीधी राह से,
कभी कोई इतिहास बनता नहीं,

मेरी तकदीर में सदा ही,
कुछ कीमत आंकी होती है,
किसी को चमकाने से पहले,
थोडी़ तो रगड़ खानी होती हैं,

खुद को पाने की खातिर,
खुद को तुम जुदा रखना,
तकदीर जो कीमत माॅंगें,
हर कीमत तुम अदा करना!!

# नीलिमा जैन,

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7 MAR AT 15:40

ये तो ना सोचा था हमने कभी
यूँ इतने करीब आकर दूर होंगें
ना संगदिल तुम ना बेवफा हम
फिर क्यूँ इस कदर दूर हैं हम
बात करने से उलझनें होती दूर
पर तुम दिल से हर बात लगा बैठे
कैसे सुलझाते हम यूँ उलझते राह को
जब बात को हर बार बड़ा कर देते तुम
इस तरह गलतफहमी में ना टूटते हम
जरा तो हम दोनों के जज्बात समझते तुम..!!

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7 MAR AT 15:21

जैसे झगड़ते हैं दो दोस्त
तू-तू मैं- मैं करते हैं पर
दूसरे ही पल फिर मिलते हैं
जैसे मिले हवा संग खुश्बू..!!

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7 MAR AT 14:48

तो कहीं खो से जाते हैं हम
वो भूली बिसरी यादों में बस
नम आँखों से रो जाते हैं हम
मगर दूसरे ही पल जब .....
याद आती वो मिसरी सी यादेँ
वो मीठे से बिसरे से प्यारे पल
तो अतीत भी सुहाना लगने लगता हैं
नम आँखें भी मुस्कुरा जाती हैं
जब आता हैं याद वो अतीत सुहाना
तो लगता है ये वर्तमान भी बेगाना..!!

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