अनजाना सा वो चेहरा भुलाए नहीं भूलता, कई महीनों तक सपनों में भी आया पर हकीकत में नही,
सर्दी की वो शाम और उसकी व्यस्त सड़क के किनारे जब मेरी गाड़ी से कुछ दूर अचानक एक कार आकर रुकी, ध्यान ही नही गया लगा जैसे होगा कोई रास्ते का मुसाफिर, लेकिन कुछ पल बाद जब वो कार जाने लगी तभी एक अनजाना सा चेहरा मुस्कुराते हुए दिखा और जाते हुए खिड़की से हाथ निकालकर जाने का संकेत दिया जैसे वह कोई चिरपरिचित हो
कुछ दूर पीछे गया लेकिन शायद मैंने ही देर करदी थी
हल्की मुस्कान गोल चश्मा और वो धुंधला चेहरा कई दिनों तक दिल और दिमाग में हावी रहा
कौन हो सकता था ? बहुत जतन किए जानने के लिए पर वो धुंधला सा चेहरा आज भी एक पहेली है।
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- अन... read more
आगे सफर था और पीछे हमसफ़र
रुकते तो सफर छूट जाता और
चलते तो हमसफ़र
मंज़िल की भी हसरत थी और
उनसे भी मोहब्बत थी ,
ऐ दिल तु ही बता उस वक्त में
कहां जाता
मुद्दत का सफर था और
बरसों का हमसफर
रुकते तो बिछड़ जाते और
चलते थी बिखर जाते
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कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा
तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा
वो जिस के वास्ते परदेस जा रहा हूँ मैं
बिछड़ते वक़्त उसी की तरफ़ नहीं देखा
न रोक ले हमें रोता हुआ कोई चेहरा
चले तो मुड़ के गली की तरफ़ नहीं देखा
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मिलावट है तेरे इश्क़ में
इतर और शराब की
कभी हम महक जाते हैं
कभी हम बहक जाते हैं
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झूठा झूठा हंसता रहा मैं
खुशी नहीं थी जीने में
जहर भी मीठा लगता था
इतना दर्द भरा था सीने में
सारा गम सारा दर्द में
दवा समझ के खा गया
तूने हंसके देखा तो
मैं मन ही मन मुस्का गया
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जरा जरा सी बात पर
तकरार करने लगे हो
लगता है तुम मुझसे
बेइंतहा प्यार करने लगे हो
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मन तो बड़ा करता है
गुस्सा करूं तुझ पर
कमबख्त हर बार तेरी
मुस्कान याद आ जाती है
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जब-जब दर्द का बादल छाया
जब ग़म का साया लहराया
जब आँसू पलकों तक आया
जब ये तनहा दिल घबराया
हमने दिल को ये समझाया
दिल आख़िर तू क्यूँ रोता है?
दुनियाँ में यूँ ही होता है
ये जो गहरे सन्नाटे हैं
वक़्त ने सबको ही बाँटे हैं
थोड़ा ग़म है सबका क़िस्सा
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही नम है
हर पल एक नया मौसम है
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है?
दिल आख़िर तू क्यूँ रोता है?
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