Neelam Sehgal   (Neelam sehgal)
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Joined 15 January 2020


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Joined 15 January 2020
15 MAY AT 21:50

ये वो सरहद है जिसपे प्रेम विरह दोनों साथ रहते हैं!
साॅंसों की सरहद पे हम उनसे मिलने को तरसे हैं !!

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11 MAY AT 23:00

❤️माॅं ही पूरी दुनिया है, माॅं ही ईश्वर है!❤️
माॅं की दुआओं में रब का असर है !!
माॅं है तो जन्नत भी सब अपना है!
❤️माॅं नही तो कुछ ना इधर है !!❤️

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

"कैप्शन में जरूर पढ़ें"👇

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7 MAY AT 10:10

जितनी खून की बूॅंद गिरी धरा पर
हम उसका बदला चुन-चुनकर लेंगे!
पाकिस्तान अबकी कोई समझौता नही
बस तेरा कटा हुआ हम सिर लेंगे !!

जय हिन्द की सेना,🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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1 MAY AT 19:21

बेशर्त होती है मुहब्बत
इसमें कोई नुमाइश
नही होती!

इसमें एक दूसरे को
आजमाने की कोई
गुंजाइश नही होती !!

हां मगर जो प्यार को
खेल समझते हैं उन्हें
सबक सिखाना भी जरूरी है!

जो नारी का सम्मान नही करते!
उन्हें उनके कदमों पर
लाना भी जरूरी है !!

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29 APR AT 12:06

जब किसी को दुःख में रोता देखकर!
स्वयं ऑंखों से आंसू छलक जातें हैं !!
यही तो है वो करूणा की झलक जो!
हम सब मानव इसे समझ नही पाते हैं !!

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29 APR AT 10:05

एक बार उन्हीं प्रेम की गलियों में मिलों मुझको!
प्रेम के हसीं ख्वाब दिख जाएंगे ऑंखों में तुझको !!

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27 APR AT 18:53

ज़ख़्म किसी को दिखाना क्या? इतना आसान होता है!
स्वयं ज़ख़्म देते हैं दिल पे और पूछते हैं हुआ क्या है !!

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20 APR AT 17:34

बातों ही बातों में शाम ढल जाती और चाॅंद भी आ जाता!
खनकती पायल मेरी दिल में उसके भी खुमार हो जाता !!

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17 APR AT 9:10

"उसकी कमी"

उसकी कमी आज भी मुझको बहुत ख़लती है !
आँखों से अश्क़ की धारा दरियां की तरह बहती है !!

भुलना चाहूं भी तो मैं उसे भूल नही सकती हूँ !
मत पुछ उसे तन्हाइयों में कितना याद किया करती हूँ !!

जितनी शिद्दत से उसने प्यार किया है मुझको !
है यकीं उतनी शिद्दत से अब ना कोई चाहेगा मुझको !!

क्यूंकि वहीं इश्क़ वहीं इबादत है मेरी !
वहीं मेरी पहली चाहत पहली मुहब्बत है मेरी !!

है याद मुझे आज भी उसकी मेरे प्रति दीवानगी !
मेरे शब्दों के ज़हर को हॅंस के पी गई आवारगी !!

फिर भी दुनियां की नजरों में रूसवां नही होने दिया मुझको !
यही उसकी वो अंदाज है जिसपे आज भी मैं मरती हूँ !!

हाँ ये सच है कि आज भी मैं उससे बेइंतहा प्यार करती हूँ !
उससे फिर से मिलने का बेसब्री से मैं इंतज़ार करती हूॅं !!

नीलम सहगल ✍️

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16 APR AT 9:52

चाॅंदनी सी है उसकी शीतल काया!
हर रूप ही अनोखा दिलकश दिखता है !!
घटता बढ़ता रहता है वो चाॅंद के जैसा!
मुझे पूर्णिमा के चाॅंद में भी वो दिखता है !!

नीलम सहगल ✍️

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