बहुत हुई मनमानी दिल अब तेरी एक ना चलेगी, बहुत तड़पाया बहुत रुलाया अब तुझको मेरी कमी खलेगी ये दिल तेरे बहकावे को कोई मोल ना मिलेगी, अब तेरी नादानी को कोई ठोर ना मिलेगी.. सदियों कि बंदिशों को तोड़ पंछी गगन में जा झूमेगी.....
मुसीबत के वक़्त कौन साथ देता है, मुकर जाता है हर वह शख्स जो साथ होता है. हटता हैं उस चेहरे से नक़ाब जो सबसे ख़ास होता है अपने पराया का भेद मुसीबत पड़ने पर ही पता चलता है
निगाहों से पूछो क्या खोया क्या पाया हर बात समझ आ जायेगी.... छलका तो दर्द भरे होंगे, हँस दे तो कोई कहानी होगी... मायूस नज़र कुछ छुपाते होंगे कुछ कहने से कतराते होंगे..... दिल की बात निगाहों तक आकर अकेले में शरमाते होंगे.... जुबां जो आजतक कह ना पाई निगाहों से कह जाते होंगे.....
समय के साथ परिवर्तन निश्चित है, कुछ दिन मुश्किल होते है, लेकिन कौन कहता है वो मजबूर होते है..... समय और हालात उनके भीतर मजबूत इंसान की छवि उकेर कर ही छोड़ती है.... कर्तव्य पथ पर हर हालतो से जूझते हुए भी अपनी पहचान बना कर ही दम लेते है...
कद्र और दर्द की क़ीमत वही समझ सकता है, जो उस राह से गुजरा होगा। पिंजरे में बंद पंछी को भावना भी सज़ा लग सकती है, अब तक उसने उड़ने की कला खो दी होगी। भावनाओ को समझो तो तिनका भी सहारा बन सकता है,भव सागर से पार उतरने के लिए। देखो तो आज भी कई कश्तियां खाली पड़ी हैं, लोग लड़ रहें है पर उस पार जा नहीं सकते ।
वीर सिपाही के बलिदान कभी खाली नहीं जायेगे , उनके खुन के कतरे चीख चीख ये बात दोहरायेगे. कल भी भारत हमारा था आज भी हमारा है, स्वराज हमारा अधिकार था और आगे भी हमारा है।
नेतृत्व जिसके रग -रग में थी, जिसने स्वाधीनता ठानी थी. अजर अमर वो आज भी है जिसकी लहू हिंदुस्तानी थी, कर्तव्यपथ पर अग्रसर रहें, औरो को भी जागृत किया। देश ही क्या विदेश में भी अपना लोहा मनवा दिया। वो और नहीं नेताजी थे, जिसने स्वतन्त्रता का मुलमंत्र समझाया था। नेताजी जयंती पर उनको कोटि - कोटि नमन 🙏🙏🙏🙏