मन-भँवरा उड़ चला
अभिलाषा जागी पुष्प-रस की,
कुछ क्षण रहा
तन्मय पीले पुष्प में,
उसे छोड़ बढ़ चला आगे
हुआ आकृष्ट श्वेत पुष्प की ओर,
इस मन-भँवरे को
मिली न कहीं स्थिरता।
यूँही उड़ता-उड़ता
फँस जाता इंद्रियों के जाल में,
बाहर निकलता
फिर उलझ जाता,
यह मन-भँवरा
फिर से उड़ चला कहीं।-
मेरे अधिकतर Quote काल्पनिक हैं,
इसलिए असल जीवन से ना जोड़ें।🙏
करूँ क्या दो चार शब्दों में वेदना को व्यक्त मैं
या फिर लिख डालूँ पूरी एक किताब ही मैं
करूँ कहाँ से इस व्यथा-वर्णन की शुरुआत मैं
बताऊँ चुभन सूई की या पीड़ा खंज़र की मैं
करूँ दर्द के किस अवस्था का उल्लेख यहाँ मैं
लिखूँ आँखों का पानी या हृदय की अग्नि मैं
करूँ दूर दर्द को दूँ क्या रचना में अभिव्यक्ति मैं
या करूँ दफ़न उठाऊँ हाथ पोंछने को आँसू मैं-
हमसे वो इंसान 'जो माँगना है माँग लो' ऐसा कहता है,
खुद के लिए तो ज़रूरत की चीज़ें तक नहीं खरीदता है।
उस इंसान से ज़्यादा खूबसूरत और कौन हो सकता है,
जो हमारे लिए अपनी हैसियत को भी झुका सकता है।-
लौकिक है उस प्रियतम से प्रेम करना।
अलौकिक है उसका प्रेम प्राप्त करना।।
प्रेम में पगी को एक जोगन बना दिया।
उसके प्रेम ने राधा को मीरा बना दिया।।-
प्रिय !
ये मेरा नादान दिल
नहीं समझता आज़ादी,
तुम्हारे एहसासों की ज़ंजीरों से
खुद को बांधकर
कर लिया है कैद इसने।
तुम्हारे प्यार के कैदखाने में बैठा
हर पल आहें भरता है।
प्रिय ! संयोग के कुछ क्षण देकर
इस वेदना से
कर दो न मुझे मुक्त।-
इस तन्हाई की शिकायत मैं तुमसे करूँ भी तो कैसे,
सुना है तुम खुद इसकी शिकायत खुदा से करते हो।-
उसने कहा - मेरा दिया तोहफ़ा अब तक रखा है क्या?
मैंने कहा - मुझमें आज तक इतनी हिम्मत नहीं आई कि मैं अपने बचपन के टूटे खिलौने फेंकूँ और तुम तोहफ़े की बात कर रहे हो ।-
पहले था वह भँवरा जो हर फूल पर जाकर मँडराता रहता था,
अब हो गया है चकोर जो केवल चाँद के प्रति एकनिष्ठ रहता है।-
तुम भूल रहे हो
कहानी की शुरुआत
याद करो किताब का पहला पन्ना
वही जुड़ा है आख़िरी पन्ने से
कहानी की शुरुआत ही
कहानी के अंत को पूरा करेगी।-
दुनिया की नज़रों में जीतने के लिए कभी बेईमानी ना करना,
वरना जीवन में कभी भी खुद की नज़रों में जीत नहीं सकोगे।-