Neelam Kannojia  
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Joined 14 December 2017


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Joined 14 December 2017
1 AUG 2022 AT 9:15

उदास बारिशों के मौसम में
तुम्हारी ये अदा भी खास लगी
मैने अभी कुछ कहा भी नहीं
और तुमने पूरी मुलाकात कर ली..
नीलम

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31 JUL 2022 AT 20:57

बस थम जाएँ ये हसीन घडियां इसी वक्त
तुम हो, चाय है और क्या चाहिए कमबख़्त...
नीलम

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12 JUN 2021 AT 12:38

जो आंखों से दिखते जरूर हैं
पर हकीकत में होते नहीं ...
दूर से कितने ही रंग भरे दिखते
पर होते बेरंग से सच में
छूने की कोशिश करो तो
हाथ रीते ही रह जाते
बिखर जाते हैं दोनों ही टूटकर
सपने टूटे जो नयन बरसते
और बादल भरे तो
धरा पर बरस जाते....
नीलम

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24 MAY 2021 AT 22:19

कि कहीं मासूम सपने जागते हैं
उनके सिरहाने पर कई नैन ताकते हैं
झांकते हैं उदासी से पार की दुनिया
राह देखते हैं किसी के लौट आने की
हर आहट पर वो सहम जाते हैं
सहर होने तक थक सो जाते हैं....

नीलम

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23 MAY 2021 AT 22:35

जिंदगी की कहानी
सपने नये हैं
पर उम्मीदें पुरानी...
इस शाख पर उगे पत्तों की तरह
जीवन भी बिखर जाएगा एक दिन
कली से फूल होंगे और फल बनेंगे सभी
चक्र जीवन का सबके
चलता रहेगा यूँ ही
बहारें,पतझड़ , बसंत, शिशिर
आते रहेंगे यूँ ही
सफर एक ना एक दिन सबका
खत्म हो ही जाएगा
जी ले पूरी शिद्दत से
जब तक न आए बुलावा...
नीलम



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23 MAY 2021 AT 22:06

एक भुलावे में जी रह थे जैसे
अब जाकर भ्रम टूटा है
क्या कहें , अपना सिक्का ही खोटा है......
नीलम

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22 MAY 2021 AT 22:48

तेरा चेहरा मुझे चाँद में नजर आता है
रात की हथेली में चाँद शरमा जाता है....
नीलम

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21 MAY 2021 AT 22:13

मौसम है सुहाना कि आज झूमने को जी चाहता है
एक मीठी,अदरकवाली चाय पीने को जी चाहता है....
नीलम

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20 MAY 2021 AT 22:06

सहर हूँ
रोशनी बनोगे?

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20 MAY 2021 AT 21:52

थम गए जो रहगुज़र में, कारवें वो फिर कहां
रहगुज़र के जो हुए हैं वो सफर के फिर कहां
साथ देते हमसफर बन, हमनवां वो मिल ना सके
सब मुसाफिर मंजिलों के रहगुजर के फिर कहां..
नीलम

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