दुख हमारे काम आया
ताकि कोमल हृदय
कठोर हो सके
ताकि ईश्वर में विश्वास
फिर से हो सके
ताकि अपनो की पहचान
बेहतर हो सके-
तुम्हारे होने का अहसास
हर पल रहता है साथ
मेरे हमसफर
तुम हो ही इतने ख़ास-
रोना एक स्वाभाविक क्रिया है
लेकिन रोने का कारण हमेशा
अस्वाभाविक ही होता है
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किसी उदासीन लड़की से प्रेम करना
वैसा ही है जैसे मरूस्थल में गुलाब उगाना
शायद उग ही ना पाए कभी प्रेम उस लड़की के जीवन में
लेकिन तुम उगा ही लेना
गुलाब की तरह ना सही
बोगनवेलिया की तरह थोड़ा गुलाबी सा प्रेम
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तुझको लिखने बैठे है
तुझे सोच ही नहीं पा रहे
एक वक्त था जब तुम्हें सोचने के सिवा
दूजा कोई काम न था
अब ये वक्त है की चाहे तो भी
तुम याद नहीं आ रहे-
तेरे पीछे आकर मैंने जाना
जीवन में पिछड़ना भी कितना जरूरी है
तेरा पीछा करते करते
मेरे अपने मेरे सपने
कब पीछे छूट गए पता ही ना चला
अब पीछे मुड़कर देखती हूं तो सिर्फ़
अधूरे सपनों और रूठे अपनों के अलावा
कुछ नज़र नहीं आता
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तेरी काया के आगे
बाकी सब माया भूल गया
देखा जब से तुझको
मैं तो खुद को भी भूल गया
जागा जो स्वप्न से तो जाना
ये तो छलावा था तेरी माया का
उसमे उलझ कर में नासमझ
जीवन का सार भूल गया...-
अतीत में गोते खा कर
तेरी यादों के समंदर में डूब आए हम
बंजर पड़ा था बहुत दिनों से मन
अश्कों से उसको भिगो आए हम-