जबतक हमारे भीतर बैलेंस नहीं आता
भावनात्मक और प्रयोगात्मक रुप से
तब तक हम भटकते ही रहते हैं बाहर
किसी न किसी तलाश में ,,,,,
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जो भी देगा ,,वही खुदा देगा,,,,,
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जो भी लिखा है... read more
हम जब सिमट के आपकी बांहों में आ गये,,,,
लाखों हसीं ख्वाब निगाहों में आ गये,,,-
नींद से ज्यादा निर्दोष कुछ भी नहीं होता
सब वास्तविक होता,कुछ भी बनाबटीपन नहीं झलकता।।-
जहर हो या,एक कठोर आवरण(कवच)
लाज़िमी हो जाता इस संगदिल ,, इंसान को सीढी बनाकर इस्तेमाल करने वाली दुनिया में।।-
बहुत जिद की,,,रोकने की
कसकर भींचा , मुट्ठी में
जोर से लगाया सीने से
जुदाई सोचकर भी आंसू निकले
फिर भी जो ना पिघले,,,
मत रोको उसे
मार्ग में बाधा न बनो उसके
वो तुम्हारा होगा तो लौट आएगा
और गर तुम्हारा नहीं तो फिर
अपनी बेबकूफ़ी के लिए
हंस दो एक बार दिल खोलकर
बह जाने दो सारी आशाएं
झूठी कसमे़ं,,खोखले वादे
क्योंकि चाहा सिर्फ तुमने था
जानेवाले ने तो तुझे
अपनी दोस्ती के लायक भी नहीं
समझा था शायद कभी,,,-
बहुत मुश्किल से मिलते हैं,ये लम्हें सुकून के
खुद में खो जाती फिर ,सारी दुनिया भूल के।।-
बड़े खास होते वो,
बडीं खास होती उनकी यादें,
जिनसे मिलकर आप
ब्लैक एंड व्हाइट हो जाते हैं
अतीत,,,में खो जाते हैं, ।।-
बाट निहारु घनश्याम
नैना नीर भरे,,,,,,
कब आओगे मोरे गांव
नैना नीर भरे,,,,,-