क्या मांगू अब रब से और क्या ही फरियाद करूं
बता दे मुझको एक वजह जो मैं तुझे याद करूं-
पता नहीं कैसे वह सो जाती है
जिक्र आते ही उसका मेरी तो नींद खो जाती है
तुझसे पुछे बिना कुछ करता न था
तु साथ थी तो कुछ लिखता न था
उन्हीं लम्हों में जिंदगी जी थी मैंने
क्योंकि साथ थी तुम तो यु दर बदर भटकता न था
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लबो पे अब भी आजाद है तेरा नाम
बस ख्वाब ही अधुरे रह गए
उनको मोहब्बत किसी दूसरे से है
मुस्कुरा कर बस इतना कह गए-
अरमान सारे धुल गए जब रोई वो मुझसे लिपटकर
मैंने खुद से सवाल पूछा कि कि क्या यही जन्नत है-
इस भीड़ में जाने क्यों खो रहा हूं
लगता है अब दिन रात सो रहा हूं
नहीं आती अब तो अपनों की भी याद
फिर भी जाने क्यों रो रहा हूं-
खता हमने बस इतनी की थी
समय रहते तुझे पहचाना नहीं
आऊंगा सिर्फ तेरे लिए
मनाने तुझे ,लेके बहाना कई-
बड़ी शिद्दत से मोहब्बत की थी मैंने
अनजान सिर्फ तुम ही रही
मिलोगी तुम तो अलग दुनिया बसायेंगे
वर्ना हम तन्हा ही सही-
तुझसे मिलना क्या सिर्फ इत्तेफाक था
माना कुछ वक्त दुसरे के साथ था
यूं ही नहीं आ गया सबकी निगाहों में मैं
थोड़ा आशिक थोड़ा बेबाक था-
किस्से तो बहुत थे पर कहानी न बन पाई
मैं तो कबका बाजीराव बन गया पर तु मेरी मस्तानी न बन पाई-