Neal Singh Jagat   (लेखक :- नील सिंह जगत)
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Joined 14 August 2020


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25 JUN AT 18:23

अब ये न पूछो मेरा दर्द की कब रोया था
मैं तब रोया था जब मुझे मोहब्बत हुई थी
मैं तब रोया था जब इश्क़ छूटा था
ये रोना दर्द भी है
और सुकून भी
मैं तब रोया था जब वह सीने से लगी थी
मैं तब रोया था जब वो छोड़ चली थी
ये रोना मुश्किल भी है
और आसान भी
मैं खुलकर रोया था जब मुझे मोहब्बत हुई थी

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9 MAY 2024 AT 23:21

जा रहा हूं मैं धीरे-धीरे उस जिंदगी के मोड पर
जहां जिंदगी का आखिरी रास्ता हैं
कुछ वादे किए है मैंने ना कर पाऊंगा जैसा लगता है
ना तोडूंगा दिल तुम्हारा फिर भी टूट जाएगा
जीना सीख ले मेरे बिना जीना सीख जाएगा
मैं लम्हा लम्हा कतरा कतरा छूट रहा हूं
जो बांधी डोर थी उससे टूट रहा हूं
काश जिंदगी को धोखा दे सकता मैं
इस जिंदगी के लिए
मेरी तस्वीर को समेट कर रख ले
एक बार जाऊंगा लौट के न आऊंगा
कुछ पल बना कैद कर ले क्योंकि मेरा लम्हा थम जाएगा
रुकने का तो बड़ा मन है पर मौत जो बुला रही है
जिद्द नहीं मजबूरी बन गई है
जा रहा हूं मैं धीरे-धीरे जिंदगी के उस मोड पर
जहां जिंदगी का आखिरी रास्ता है

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5 AUG 2023 AT 12:57

एक शोर है दिल में
चीखती सुनाई दे रही
एक जलन सी है, ना बुझाई जा रही
वो वहम है या सच
या मन मन से उलझायी जा रही
मेरा दर्द मुझ तक है
ना सुलझती, ना सुलझायी जा रही
मैं जल मर रहा हूं उस आग मे धीरे-धीरे
कुछ बातें हैं, जिससे हमे सताई जा रही

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25 APR 2023 AT 10:05

मेरे मन का भरम था
क्या क्या सोच लिया था
क्या क्या देख लिया था
सब सपना सा लगता है
मैं गलत था
मेरी सोच गलत थी
मेरे सपने गलत थे
मैं भी गलत था

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31 MAR 2023 AT 18:43

किसी को अपनी कहानी खुबसूरत बनानी थी
पर बन न सकी क्योंकि उसके हिस्से मैं ना था
वो अपने आप को खोकर मुझको खो दिया
मुझे आजाद कर कर
मैं खुद उलझा हुआ हूं अपनी कहानी में
मैं कैसे किसी के किस्से का किरदार बनु

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31 MAR 2023 AT 15:40

मातम मना रहा हूं मैं
वो शख्स मर गया मेरे लिए
ना चाहा मैंने उसे एक पल भर भी
पर उसने दिल खोलकर प्यार किया
दो तरफा नहीं एक तरफा ही सही
काश मैंने उसके दिल में झांक कर देखा होता
आज ऐसा होता तो नहीं
अफसोस है मुझे उसके जाने का
दिल रो रहा है उसके खो जाने का
उससे मोहब्बत तो ना थी
पर दिल टूट गया मेरा
बिखर सा गया हूं
आंखों में आंसू भी हैं
काश मैं उसे खोया तो नही होता
मातम मना रहा हूँ मैं
एक शख्स मर गया मेरे लिए

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21 MAR 2023 AT 21:02

याद नहीं क्या याद हैं और क्या भूल गया
शायद तेरे अलावा सब कुछ भूल गया

हाय, सुनो इक बात ज़रूरी करनी है
उफ़ क्या बात थी तुमको देखा वो भी भूल गया

मुझको ऐसे याद हुई उसकी खुशबू
कस्तूरी संदल गुल मोगरा भूल गया

इस दर्जा मायूस हुई वो दुनिया से
एक ग़ज़ल - को ग़ज़लें कहना भूल गया

आँखों की ग़लती तो नहीं जो टूटे 'ख़्वाब'
मैं ही उनको ठीक से रखना भूल गया

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8 MAR 2023 AT 1:01

थोड़ा दूर है हम आपसे
थोड़ा ये लाल रंग
हमारी तरफ से भी लगा लेना



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2 MAR 2023 AT 14:24

तेरे आने की जब ख़बर महके
तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके
शाम महके तेरे तसव्वुर से
शाम के बाद फिर सहर महके
तेरे आने की जब ख़बर महके
तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके
रात भर सोचता रहा तुझको
ज़हन-ओ-दिल मेरे रात भर महके
याद आए तो दिल मुनव्वर हो
दीद हो जाए तो नज़र महके
तेरे आने की जब ख़बर महके
तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके
वो घड़ी दो घड़ी जहाँ बैठे
वो ज़मीं महके वो शजर महके
तेरे आने की जब ख़बर महके
तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके

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23 FEB 2023 AT 10:27

ओ मैं तेरा जो दिवाना बलीये ।
तेरी कि पंसद गोरीये ।।
मैं देख के गुम हो जाऊ ।
तेरे इस गोरे रंग पर बलिये ।।
दिद करू में तेरी , तु कर दे कोई दुआ ।
तुझे देखे कोई और तो , आँखे बंद कर लेना गोरीये ।।
मै अम्बर से कहता तेरा नाम ।
दुनीया पढे नमाज , मैं पढ़ता तेरा नाम ।।
मेरे कमरे में तेरी लाके फोटो ।
देख मै हसता रहता हो के दंग गोरीये ।।
ओ मैं तेरा जो दिवाना बलीये ।
तेरी कि पंसद गोरीये ।।

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