तुम्हारे नसीब के हर पन्नों पर खुशियाँ हो !
मेरी जाना जो तुम चाहो सारी दुआ कुबूल हो !
जिंदगी के सफर में हमसफर का खूबसूरत सा साथ हो !
बिन कहे हर एक बात को समझ जाए ऐसा प्यार हो !
न जाने हमलोग कल कौन से शहर में आवाद हो !
छुट जायेंगे बहुत से लोग इस चीज से हैरान न हो !
तुम थाम लेना दोस्ती को ऐसे की तुमसे बेहतर कोई और न हो !
जिलों हर लम्हे को साथ में फिर दुवारा मुलाकात नहो !
आखिरी अल्फ़ाज़ है नाजिया की तुम्हारी दोस्ती के नाम
दिल से वफादार है हमेशा तुम्हारे लिए,
बस इस बात से तुम अनजान न हो !-
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" न जाने मैं कैसी लड़की हुँ "
ख्वाबों में रहने वाली हक़ीकत से डर जाती हुँ!
छोटी _ छोटी बातों पर घंटों बिता देती हूँ!
बड़े _ बड़े मसलों को हँस कर टाल देती हुँ!
" न जाने मैं कैसी लड़की हूँ "
जिससे दिल मिल जाए खुली किताब बन जाती हुँ!
रिश्ता दिल से बन जाए तो सब कुछ कुर्बान कर जाती हूँ!
भरोसा टूट जाने पर हमेशा के लिए दूर हो जाती हुँ!
" न जाने मैं कैसी लड़की हूँ "
खुद की उलझन को कहाँ सही से समझ पाती हूँ!
दूसरे की तकलीफों को अपनी तकलीफ़ समझ लेती हुँ!
अपनी तकलीफों में खुद को हमेशा अकेला ही पाती हूँ!
" न जाने मैं कैसी लड़की हूँ "
दूसरे की खुशी में खुद को खुश कर लेती हूँ!
अहसास से भरी लोगों के रवैये से हार जाती हूँ!
किताबों की कहानियों में खुद को तलाश कर लेती हूँ!
" न जाने मैं कैसी लड़की हूँ "
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दुनिया की भीड़ में कहाँ गुम हो गए दोस्त।
देखते ही देखते कितने दूर चले गए दोस्त।
अभी तो कल की बात है,रोज मिला करते थे दोस्त।
अब तो महीनों हो जाते बिना मिले होए दोस्त।-
ज़िन्दगी की पहेली से परेशान है।
यहाँ की मोह माया से अनजान है।
कभी हंसाती है, तो कभी रूलाती है।
हर बार गिरा कर फिर से चलना सिखाती है।
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जिलों इस पल को तन्हा फिर दुबारा कहाँ मिलेगा
खुद में डूब जाने का सुनहरा मौका कहाँ मिलेगा।
बहुत हुआ रूठना मनाना चलो छोड़ो ये किस्सा पुराना
देखो खुद से बेहतर हमदर्द नहीं मिलेगा।
ज़िन्दगी में लोग बिछड़ जाए तो गम नही करो
ज़रूरी नहीं हर किसी का साथ हमेशा का मिलेगा।
छोड़ो लोगों से गिले शिकवे मिलो उनसे मोहब्बत के साथ
न जाने कहाँ मिलेंगे , हाँ मिलेंगे शायद फिर दुबारा वैसे नहीं मिलेंगे।
मुस्तक़बिल की कैसे सोचें अभी तो मैं, माजी की सोच मे हूँ
खुद में डूब जाने का नाज़िया सुनहरा मौका कहाँ मिलेगा।-
ये ठंडी ठंडी हवाएं गुनगुना रही है।
देखो दिसम्बर फिर से अधूरे ख्वाब देखा रही है।
तन्हाई में जिंदगी जीने का तरीका बता रही है।
खुद में खुद से जीत जाने का हूनर सिखा रही हैं।
दिसम्बर पूरे साल की यादें दिए जा रही है।
लम्हा _ दर_ लम्हा अपनो की बातें याद आ रही है।
कुछ ख्वाहिशों को पूरा कर कुछ ख्वाहिशों
को अधूरा कर
मेरी जिंदगी की फिर एक साल गुजरने जा रही है
किसी चीज के छुट जाने का अफसोस
न करो नाजिया
देखो जनवरी इस बार नई ढंग से आ रही है ।
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मेरी दोस्ती का मान हो तुम।
कैसे बताऊं मेरे लिए क्या हो तुम।
हो रही अब शादी दूर चली
जाओगी तुम।
कहाँ अब हमसे पहले की तरह
मिल पाओगी तुम।
शौहर इतनी ख़ुशी दें की गुलाब की
तरह खिल जाओ तुम।
ससुराल में इतना प्यार मिले की सारे
रिश्ते अच्छे से सम्भाल लो तुम।
कैसे बताऊं कितनी खास हो तुम।
हिज़्र(seperation) के दिन करीब है,
लगता अब भूल जाओगी तुम।
जो किस्सा हमसे किया करती थी,
अब किसी और से करोगी तुम।
अगर जिंदगी में खुशी कम पड़ जाए
मेरे हिस्से की लेजाना तुम।
कैसे बताऊं कितनी खास हो तुम।
जैसे नाजिया की किताब कि
अहम किरदार हो तुम-
लोगों से लगीं उम्मीदें टूट ही जाती है।
उनसे लगीं आदतें तुम्हे बेबस कर ही जाती है ।
लोगों में ख़ुद को ढूंढने पर बस तकलीफें रह जाती हैं ।
खुद में खुद को ढूंढने पर खुदी मिल जाती हैं ।-
گئے موسم میں جو کھلتے تھے گلابوں کی طرح
دل پہ اتریں گے وہی خواب عذابوں کی طرح-
जिंदगी की कहानी में नादानी ही नादानी है।
करनी हैं हर ज़िम्मेदारियों को पुरी बस यही नादानी हैं।-