Nazia Siddiqui  
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Joined 3 June 2020


Joined 3 June 2020
26 MAR 2022 AT 22:58

मिल जाती जो राह तो गुज़र जाते
मिल जाता जो समंदर तो मिल जाते
मुलाक़ात जो बढ़ जाती हमारी तो किस्सा बन जाते
जो मिल जाते तेरे मेरे सुर तो ग़ज़ल बन जाते
तो क्या हुआ जो ये मुलाक़ात अधूरी रह गयी
सुनाई जाएगी ये भी किसी की ज़बानी
अधूरी ग़ज़ल की भी होती है अपनी ही पूरी कहानी

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13 DEC 2021 AT 18:14

It
Is
A
Crime
To
Lag
Behind.

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10 NOV 2021 AT 19:06

ज़िंदगी का फ़लसफ़ा बस इतना सा हो गया,
सुबह उसे सपना जान कर मायूस हुए और,
अगली रात वही सपना दोबारा देखने के लिए,
दिल फ़िर अंजान हो गया

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5 SEP 2021 AT 23:08

ये रस्म जो बनी
एक दिन आरती उतारने की,
काफ़ी नहीं है।
वो तो रोज़ ही हकदार है
पूजे जाने का,
उसका हाथ तो हमेशा तैयार है
दुआ देने के लिए,
ये तो हमारा फ़र्ज़ है
उसके आगे झुक जाने का।

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15 AUG 2021 AT 18:49

इश्क़ेदारियाँ तो बहुत हैं,
पर तेरी मेरी बात ही कुछ और है
दिल्लगी के किस्से तो बहुत हैं,
पर तेरी मेरी वफ़ा की बात ही कुछ और है
मौत तो सभी को याद करती है,
पर तेरी अशिक़ी में क़ुरबाँ होने का मज़ा ही कुछ और है
सफ़ेद कफ़न तो सभी ओढ़ते हैं,
पर तिरंगा पहनने का मज़ा ही कुछ और ही है

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19 JUN 2021 AT 23:29

उसने किसी के भी आगे झुकने से मना कर दिया
छेनी हथौड़े की मार खा कर मूरत बन गया वो
बस वजह तो यही है उसके आगे झुकने की
यूँ तो पत्थर बहुत हैं दुनिया में
पर सबको अपने आगे नत्मस्तक कर गया वो

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17 JUN 2021 AT 23:46

Have confidence to keep your faith, also,
have doubt for not losing it.

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16 JUN 2021 AT 21:23

YOU
CAN
HAVE
ONLY
ONE
AT
A
TIME,
EITHER
EGO
OR
RELATIONSHIP.

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3 MAY 2021 AT 5:01

मैंने तो अपने रब से बस ख़ैरियत की दुआ माँगी थी यकीं मान मेरा,
मुझे ख़बर न थी कि वो तुझसे तेरा गुरुर छीन लेगा

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23 MAR 2021 AT 20:57

अरमां तो थे मेरे भी बहुत, कि कुछ ऐसा कर जाऊँ
कि याद रखे सारा ज़माना, ज़माने की दास्ताँ मैं बन जाऊँ
मगर अफ़सोस सिर्फ इस बात का है, कि ज़िन्दगी बस एक ही थी
वरना तू यकीन मान इरादा तो ये था कि तेरे सारे दुश्मन मार दूँ, चाहे हज़ार दफ़ा मर जाऊँ

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