Nayanima Raghuvanshi   (Nayanima Raghuvanshi)
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Joined 10 April 2020


Joined 10 April 2020
15 DEC 2022 AT 21:26

सुनो ना...
बहुत कुछ कहना था तुमसे,
पर कभी कह न सकी।
जिंदगी भर रहना था साथ तुम्हारे,
पर कभी रह न सकी।
तेरे हाथों में हांथ डाल दूर तक चलना था मुझे,
पर कभी चल न सकी।
तेरी खामोसी से जी भर कर बातें करनी थी,
पर कभी कर न सकी।
चाहत थी तेरे दुख में तेरे साथ खड़े होने की ,
पर कभी हो न सकी।
आख़िर कुछ तो मजबूरियां रही ही होंगी,
कि..
जो चाहा कभी पा न सकी।
मुहब्बत तो बहुत थी तुमसे,
पर इज़हार कभी कर न सकी।।

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3 AUG 2022 AT 13:21

रास्ते अलग थे , मंजिलें भी
फिर भी हम चले तो साथ ही|
महीने बीते और साल भी,
फिर भी हम रहे तो साथ ही|
कभी समय ने दिया न साथ,
तो कभी हालत ने,
फिर भी बदले न एहसास कभी|
तो फिर बताओ न ज़रा
की हुआ क्या अब तुम्हे?
की साथ तो है,
मगर अब वो एहसास नहीं |
मेरी उम्मीद तो वही है,
पर तुम्हारे जज़्बात वो नही|
हांथ मे हांथ भी है अभी,
पर वादे और इरादे की कोई बात नही|
कहने को तो है हम साथ ही,
फिर भी हम साथ नही ||



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3 AUG 2022 AT 13:21

रास्ते अलग थे , मंजिलें भी
फिर भी हम चले तो साथ ही|
महीने बीते और साल भी,
फिर भी हम रहे तो साथ ही|
कभी समय ने दिया न साथ,
तो कभी हालत ने,
फिर भी बदले न एहसास कभी|
तो फिर बताओ न ज़रा
की हुआ क्या अब तुम्हे?
की साथ तो है,
मगर अब वो एहसास नहीं |
मेरी उम्मीद तो वही है,
पर तुम्हारे जज़्बात वो नही|
हांथ मे हांथ भी है अभी,
पर वादे और इरादे की कोई बात नही|
कहने को तो है हम साथ ही,
फिर भी हम साथ नही ||



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23 MAY 2022 AT 9:09

अपना कहने से ज्यादा ज़रूरी ,
अपनेपन के एहसास का होता हैं।
अपना कहने से ज्यादा ज़रूरी ,
अपनेपन के एहसास का होता हैं।।
वादों से जायदा अहमियत ,
दिल की जज़्बात का होता है।
कहने को तो पूरी दुनिया साथ होती हैं,
कहने को तो पूरी दुनिया साथ होती है,
पर इंतज़ार तो बस उस एक हाथ का होता है...
जो किसी भी मोड़ पे छोड़ न जाए,
क्यूंकि..
एहसास इज़हार का नही ,
बल्कि आंखो में दिखने वाले प्यार का होता हैं।।

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29 DEC 2021 AT 10:01

मन होता हैं,
बचपन में फिर लौट जाने का ।
जहा बस सबका प्यार और दुलार था,
जहा नफरत का कोई निशान न था।
मन होता है,
मां के आंचल में फिर छुप जाने का ,
जहा जन्नत सा सुकून था,
जहा से कुछ खोने का डर न था।
मन होता है,
पापा के कंधे पे फिर से बैठ जाने का ,
जहा से सारा जहां ही खूबसूरत था,
जहा से कभी गिरने का डर न था।
हां,
मन होता है उस बचपन में लौट जाने का ,
क्योंकि....
अब तो न मां के आंचल सा सुकून है कहीं,
न पापा के कंधे सा सहारा।
अब तो पाव तले सिर्फ धूल है,
जिसमे मिलने का डर रहता है।
सर पे आसमां का वो साया है,
जिसमे खोने का डर हर पल रहता है।
बस इसलिए,
मन होता है बचपन में फिर लौट जाने का।।

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12 SEP 2021 AT 0:24

आज एक बार फिर मन उलझा हुआ पड़ा है।
कौन अपना है और कौन पराया ,
इसी सोच में पड़ा है।
गलत मैं हूं या मेरे हालात,
इसी कशमकश में डूबा है।
किसे अपना कहुं किसे बेगाना,
इसी ख्याल में पड़ा है।
चलो अच्छा,
यादों को अपना मान लेती ,
और जिनसे यादें है उन्हे पराया।
आख़िर इन्हीं यादों ने ही तो मुझे संभाले रखा है,
वरना सबने कहां कोई कसर छोड़ा है।
आज एक बार फिर मन उलझा हुआ पड़ा है।
कौन अपना है और कौन पराया ,
इसी सोच में पड़ा है।।

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29 APR 2021 AT 12:27

उनकी बेवफाई से,
कब तक तुम वफ़ा करोगे?
वो छोड़ गए है जिस रास्ते पे,
तुम कब तक उसी रास्ते पे खड़े रहोग?
कमबखत दिल मानता क्यों नहीं है..
कि..
कि वो रात आखिरी थी..
वो मुलाक़ात आखिरी थी..
फिर भी तुम कब तक उसे अपने अंदर जिंदा रखोगे?
कब तक उसकी यादों के समुंदर में डूबते रहोगे?
आखिर कब तक,
एक बेवफ़ा पे अपना सबकुछ लुटाते रहोगे?
आखिर कब तक?

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29 APR 2021 AT 12:19

उसे लगता है कि वो मेरा कुछ नहीं है।
अब कैसे उसे बताऊं..
कि..
जब भी लगा कि ये सांसे थमने लगी है।
ये चलती धड़कने रुकने लगी है।
तब उसी के साथ ने ही तो..
इन थमती सांसों में जान डाली है।
इन रुकती धड़कनों में उड़ान भरी है।
और उसे लगता कि वो मेरा कुछ नहीं है।।
अब कैसे बताऊं उसे,,
कि उसके अलावा मेरा तो कोई नहीं है।
तू ही तो मेरा सबकुछ है।।

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29 APR 2021 AT 1:24

खुद से जोड़ कर क्यों खुद से दूर कर गया।
न जाने क्यों बीच रास्ते में छोड़ गया।।
प्यार कि हद से भी ज्यादा तूने मुझे प्यार दिया।
फिर क्यों मंजिल से पहले तू साथ छोड़ गया।।
ज़हन में जब भी आया तुझसे दूर होने का ख्याल...
लगा कि संसो ने साथ छोड़ दिया।।
पर आज जब तू किसी और का हो ही गया है। तो देख...
मैंने भी तेरे बिना चलना सीख़ लिया है।।

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29 APR 2021 AT 1:16

तेरे होने से ही मै हुआ करती थी,
तेरे एहसासों से खुद को महसूस किया करती थी।
आंख तेरी खुलती पर नींद मेरी टूटा करती थी,
अपनी इस बेरंग दुनिया में तेरा रंग भरा करती थी।
पर, अब तो न तू है,
न तेरा एहसास बचा है,
न नींद टूटती,
न रंग मिलते,
जाते जाते बस ये बता गया होता, की क्या सज़ा दू तुझे तेरी गलतियों का.....

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