प्रेम ख़ूबसूरत सा लगता है,
जब तुम्हारा साथ हर
मोड़ पर मिल जाता है।
तुमने सिखाया है मुझे
प्रेम में समर्पण,
निस्वार्थ प्रेम,
और इसी प्रेम को साक्षी मानकर
क्या बनोगी मेरी रुकमणी,
क्या दे पाओगी राधा जैसा साथ,
तो हां तैयार हूं में कृष्ण
रूपी प्रेम बनने के लिए।
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