दरवाजे पे पर्ची लगाके
शाम तक का वक्त दिया
लुट गई इज्ज़त मां बेटियों की
और तुमने क्या किया
हाथों मे क्या चुड़ियां रही थी
जो लड़ ना सके थे घाटी में
ज़िन्दा रहके क्या ही उखाड़ा
जो भाग आए अपनी माटी से
जेहादियों से ना लड़ पाए
आखिर ऐसा भी क्या खंडित थे
कान्हा के भी ना हो सके
भला तुम भी कोई पंडित थे-
#nobimaa My words for my Mumma
#nawintiwary Quotes... read more
खुद होकर बाजारू,
तुम मुझे इस शहर बदनाम करती हो।
जाना,
क्यों ऐसा काम, तुम अब सुबहो शाम करती हो।
जिस्म की प्यास,
सबसे बुझवाने की, तुम इतंजाम करती हो।
जाना,
क्यों बंद कमरे की काम, तुम अब खुलेआम करती हो।
जो काम मैंने नहीं किया,
वैसे झूठ बोल बोलके, तुम मेरी इज्जत शर्मशार करती हो।
जाना,
ऐसे काम करके, किस बात पे तुम गुमान करती हो।
खुद होकर बाजारू,
तुम मुझे इस शहर बदनाम करती हो।
जाना,
क्यों ऐसा काम, तुम अब सुबहो शाम करती हो।
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बहकर तु नदियों सा
समंदर में जा मिल
हुआ पड़ा कीचड़ जो
बन कमल उसमें खिल
अंधकार छट जाएगा
सवेरे की उस धुप से
ज़माना जानेगा तुझे
तेरे ही इस रूप से-
चाहकर भी ना रोक पाया वो
होने से उस होनी को
भाद्र में जन्म हुआ
उसके लिए अनहोनी जो
आंतक फैला हुआ था जग में
अधर्मी उस दानव का
इसी दिन श्रीनारायण आए
लेके रूप मानव का
अंधकार हटा तमस घटा
फिर प्रकाश का उदय हुआ
गाण्डीव दुबारा उठाया अर्जुन
धर्म फिर से विजय हुआ।-
जो हो रहा वही सच है
बस तू कर ले स्वीकार
भ्रम से आ तू बाहर
परेशानियों से ना हार
छोड़ कर यूं सब माया
प्यार खुद से कर इकबार
हर चीज़ खूबसूरत यहां
आंखें खोल देख मेरे यार-
क्या कुछ बदला वक्त ने
या फिर यह वक्त ही बदल गया
कल तक तो हैरान था मैं इस बदलाव से
और आज यहां मैं खुद बदल गया-
प्यार प्यार की बातों में
कुछ ऐसे प्यार निभा गया मैं
थी हीर मेरी मेरे इंतजार में
मां तुझसे प्यार निभा गया मैं
लिपट कर तेरी आंचल से ही
मैं घर को वापिस आया था
वो नम थी तेरी आंखें मां
जिन्हें पोंछ मैं ना पाया था-
पानी की कुछ बुंदे
वो समुंदर में जा मिली
बहुत ढूंढा मैं यारों
पर मुझे कहीं ना मिली-
अंधेरी ये दुनिया अंधेरा आसमां
कैसे हम यहां ना जाने कहां
सुनसान सबकुछ और हम हैं अकेले
कुछ नहीं यहां बस ख्याल ही हैं तेरे
इन्हीं खयालों में हूं मैं खोया पड़ा
ना मालूम हूं भी मैं जिंदा या हूं मरा-
सामने रखी है ज़हर
पर नहीं, मैं नहीं पीना चाहता हूं
कुछ मालूम नहीं मुझे अब क्यों
पर हां, मैं अब जीना चाहता हूं
ऐसे व्यर्थ ना जाए यह ज़िन्दगी
कुछ किए वादे निभाना चाहता हूं
मरूं तो थम जाए यह दुनिया भी
ऐसा कुछ मैं कर जाना चाहता हूं
मुमकिन करना है बहुत कुछ यहां
नहाने को पानी नहीं, पसीना चाहता हूं
उस कान्हा का हाथ तो है ही मेरे सर पर
हारना नहीं, मैं अब बस जीना चाहता हूं-