हर नयी चीज पुरानी होती है
उम्र के साथ ढल जाए वो जवानी होती है
मंजिल की खोज मे निकले
हर शख्श की अधूरी कहानी होती है
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दिल के अल्फ़ाजो को जुबान पे लेके आ गया "नवदीप"
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आसान नही खुद को ही समझ पाना
मुश्किल है खुद की कश्मकश से लड़ जाना
मन मे हज़ारो उलझनों को दफनाये
बेमन से दूसरों के लिए मुस्कुराना...-
रौशन रहे ये देश हमारा
इस खातिर घर ना आया वो बेचारा
सरहदों पर हमारी सलामती के खातिर
अपनी माँ से दूर है घर का दुलारा...-
मंजिल की खोज मे बेताब ये जमाना है
ये मिले भी उसे जो सफर का दीवाना है
घर से निकले थे एक आशियाना बनाने को
फिर पता चला सफर ही हमारा ठिकाना है-
साजिशों का दौर है
ना जाने कौन किसकी और है
यूँ तो सारे अपने है
ईश्वर् जाने किसके मन मे चोर है-
वफा के उम्मीद मे बेवफ़ाई मिली
ज़िंदगी मे गम और तनाही मिली
क्या खूब किस्मत बक्शी खुदा ने
मर्ज़ ऐसा हुआ जिसकी ना कोई दवाई मिली-
यूं तो उसकी आंखों का काजल बड़ा अच्छा लगता है,
यूं तो मुझे उसका मुस्कुराना बड़ा अच्छा लगता है,
पता नहीं मेरी एक भी चीज उसे पसंद है या नहीं,
मगर मुझे तो उसका हर एक अंदाज बड़ा अच्छा लगता है।-
हालात क्या बिगड़े लोग बदलने लगे
वो फुल जो मेरी बगिया मे खिलते थे
आज वो भी मेरा साथ छोर
किसी और के आंगन मे महकने लगे....-
सबसे अलग मेरी पहचान होगी
हौसले से सजी मेरी मकान होगी
टूट कर फिर उठा हु मैं
जाहिर है ऊँची मेरी उड़ान होगी...-
आँखो के होते भी कम्बख्त तु अंधा हो गया
मेरी ज़िंदगी मे अब महज तु एक फंदा हो गया
तूने रिश्तों के साथ ऐसा खेल खेला
जैसे रिश्ता नही कोई सस्ता धंधा हो गया-