Nawdeep singh   (Nawdeep)
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Joined 27 March 2020


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Joined 27 March 2020
2 JAN 2022 AT 22:22

हर नयी चीज पुरानी होती है
उम्र के साथ ढल जाए वो जवानी होती है
मंजिल की खोज मे निकले
हर शख्श की अधूरी कहानी होती है

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1 DEC 2021 AT 23:27

आसान नही खुद को ही समझ पाना
मुश्किल है खुद की कश्मकश से लड़ जाना
मन मे हज़ारो उलझनों को दफनाये
बेमन से दूसरों के लिए मुस्कुराना...

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4 NOV 2021 AT 13:34

रौशन रहे ये देश हमारा
इस खातिर घर ना आया वो बेचारा
सरहदों पर हमारी सलामती के खातिर
अपनी माँ से दूर है घर का दुलारा...

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22 OCT 2021 AT 19:39

मंजिल की खोज मे बेताब ये जमाना है
ये मिले भी उसे जो सफर का दीवाना है
घर से निकले थे एक आशियाना बनाने को
फिर पता चला सफर ही हमारा ठिकाना है

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16 SEP 2021 AT 18:37

साजिशों का दौर है
ना जाने कौन किसकी और है
यूँ तो सारे अपने है
ईश्वर् जाने किसके मन मे चोर है

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27 AUG 2021 AT 20:51

वफा के उम्मीद मे बेवफ़ाई मिली
ज़िंदगी मे गम और तनाही मिली
क्या खूब किस्मत बक्शी खुदा ने
मर्ज़ ऐसा हुआ जिसकी ना कोई दवाई मिली

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19 AUG 2021 AT 0:44

यूं तो उसकी आंखों का काजल बड़ा अच्छा लगता है,
यूं तो मुझे उसका मुस्कुराना बड़ा अच्छा लगता है,
पता नहीं मेरी एक भी चीज उसे पसंद है या नहीं,
मगर मुझे तो उसका हर एक अंदाज बड़ा अच्छा लगता है‌।

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21 JUL 2021 AT 15:38

हालात क्या बिगड़े लोग बदलने लगे
वो फुल जो मेरी बगिया मे खिलते थे
आज वो भी मेरा साथ छोर
किसी और के आंगन मे महकने लगे....

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11 JUN 2021 AT 19:15

सबसे अलग मेरी पहचान होगी
हौसले से सजी मेरी मकान होगी
टूट कर फिर उठा हु मैं
जाहिर है ऊँची मेरी उड़ान होगी...

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9 JUN 2021 AT 18:26

आँखो के होते भी कम्बख्त तु अंधा हो गया
मेरी ज़िंदगी मे अब महज तु एक फंदा हो गया
तूने रिश्तों के साथ ऐसा खेल खेला
जैसे रिश्ता नही कोई सस्ता धंधा हो गया

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