ओर अंत मे हम भूल जाते है मोहब्ब भीफिर ना वफाये याद रहती ना बेवफ़ाई ही -
ओर अंत मे हम भूल जाते है मोहब्ब भीफिर ना वफाये याद रहती ना बेवफ़ाई ही
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हाँ तुम याद करते नही !ओर हम दिलाते नही !! -
हाँ तुम याद करते नही !ओर हम दिलाते नही !!
मैंने उसे समझा , उसने भी मुझे समझाकुछ देर हम साथ चले , बस चलते रहेहमने यूं ही साथ चलने का वादा कियाफिर वो अपने रास्ते मैं अपने रास्ते चलाअकेला चला वो वादा जो हमने किया -
मैंने उसे समझा , उसने भी मुझे समझाकुछ देर हम साथ चले , बस चलते रहेहमने यूं ही साथ चलने का वादा कियाफिर वो अपने रास्ते मैं अपने रास्ते चलाअकेला चला वो वादा जो हमने किया
फिर ना उसने मेरा जिक्र किया , ना नाम ही लियाशादी के बाद उसने मुझे कलंक की तरह समझा -
फिर ना उसने मेरा जिक्र किया , ना नाम ही लियाशादी के बाद उसने मुझे कलंक की तरह समझा
उसने मेरी आँखों मे दर्द देखना चाहाआज फिर उनसे आँखे चुरा ली मैंने -
उसने मेरी आँखों मे दर्द देखना चाहाआज फिर उनसे आँखे चुरा ली मैंने
आँसुओ के खेल में हमारी उम्र गुज़रीकभी देख के कभी छुपा के भी गुज़री -
आँसुओ के खेल में हमारी उम्र गुज़रीकभी देख के कभी छुपा के भी गुज़री
बरसते नही तेरे शहर के बादल मेरे शहरशायद तुम भूल चुकी मेरे शहर का पता -
बरसते नही तेरे शहर के बादल मेरे शहरशायद तुम भूल चुकी मेरे शहर का पता
छप छप की आवाज़ के साथ ओर समय समय पर बर्तन बदलने की जल्दी से टूटे छप्पर की मरम्मत करा पाने की बाबा के सपने फिर अधूरे ही नज़र आने खूंटे से बंधे लाली गाय ओर बकरियों पीठ पानी से भीगा हुआ मायूस करता घर से बाहर जाने तक का रास्ता कीचड़ से लतपत सा क्यों दिखाई देतारात में चूल्हें पर भीगे पलाश के टुकड़े रोटी को पकाने की जिद में बुझने लगतेमोम की पीली रोशनी से माँ बाबा के चुराते नजरो में जवाब तलासने लगतीमाँ की भीगी साड़ी के कोने से बूँद बूँद पानी गिरता जैसे छप छप बर्तनों पर -
छप छप की आवाज़ के साथ ओर समय समय पर बर्तन बदलने की जल्दी से टूटे छप्पर की मरम्मत करा पाने की बाबा के सपने फिर अधूरे ही नज़र आने खूंटे से बंधे लाली गाय ओर बकरियों पीठ पानी से भीगा हुआ मायूस करता घर से बाहर जाने तक का रास्ता कीचड़ से लतपत सा क्यों दिखाई देतारात में चूल्हें पर भीगे पलाश के टुकड़े रोटी को पकाने की जिद में बुझने लगतेमोम की पीली रोशनी से माँ बाबा के चुराते नजरो में जवाब तलासने लगतीमाँ की भीगी साड़ी के कोने से बूँद बूँद पानी गिरता जैसे छप छप बर्तनों पर
छप छप की आवाज़ के साथ ओर समय समय पर बर्तन बदलने की जल्दी से टूटे छप्पर की मरम्मत करा पाने की बाबा के सपने फिर अधूरे ही नज़र आतेखूंटे से बंधे लाली गाय ओर बकरियों पीठ पानी से भीगा हुआ मायूस करता घर से बाहर जाने तक का रास्ता कीचड़ से लतपत सब सा क्यों दिखाई देतारात में चूल्हें पर भीगे पलाश के टुकड़े रोटी को पकाने की जिद में बुझने लगतेमोम की पीली रोशनी से माँ बाबा के चुराते नजरो में जवाब तलासने लगतेमाँ की भीगी साड़ी के कोने से बूँद बूँद पानी गिरता जैसे छप छप बर्तनों पर -
छप छप की आवाज़ के साथ ओर समय समय पर बर्तन बदलने की जल्दी से टूटे छप्पर की मरम्मत करा पाने की बाबा के सपने फिर अधूरे ही नज़र आतेखूंटे से बंधे लाली गाय ओर बकरियों पीठ पानी से भीगा हुआ मायूस करता घर से बाहर जाने तक का रास्ता कीचड़ से लतपत सब सा क्यों दिखाई देतारात में चूल्हें पर भीगे पलाश के टुकड़े रोटी को पकाने की जिद में बुझने लगतेमोम की पीली रोशनी से माँ बाबा के चुराते नजरो में जवाब तलासने लगतेमाँ की भीगी साड़ी के कोने से बूँद बूँद पानी गिरता जैसे छप छप बर्तनों पर
हम दोनो इतने दूर हो कर भी इतने पास हुए इतना शायद पास रह कर भी पास ना होते! -
हम दोनो इतने दूर हो कर भी इतने पास हुए इतना शायद पास रह कर भी पास ना होते!