Nawal Kumar   (Nawal kumar)
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From - Bokaro jharkhand.
HODOPHILE
Blood : AB+
@INSTA ID - @nawalkumar516
Joined 9 July 2019


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Joined 9 July 2019
10 APR 2023 AT 19:31

ओर अंत मे हम भूल जाते है मोहब्ब भी
फिर ना वफाये याद रहती ना बेवफ़ाई ही

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10 APR 2023 AT 19:17

हाँ तुम याद करते नही !
ओर हम दिलाते नही !!

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3 OCT 2022 AT 9:14

मैंने उसे समझा , उसने भी मुझे समझा
कुछ देर हम साथ चले , बस चलते रहे
हमने यूं ही साथ चलने का वादा किया
फिर वो अपने रास्ते मैं अपने रास्ते चला
अकेला चला वो वादा जो हमने किया

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3 OCT 2022 AT 9:11

फिर ना उसने मेरा जिक्र किया , ना नाम ही लिया
शादी के बाद उसने मुझे कलंक की तरह समझा

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12 AUG 2022 AT 17:19

उसने मेरी आँखों मे दर्द देखना चाहा
आज फिर उनसे आँखे चुरा ली मैंने

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23 JUL 2022 AT 17:13

आँसुओ के खेल में हमारी उम्र गुज़री
कभी देख के कभी छुपा के भी गुज़री

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21 JUL 2022 AT 7:34

बरसते नही तेरे शहर के बादल मेरे शहर
शायद तुम भूल चुकी मेरे शहर का पता

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3 JUL 2022 AT 7:03

छप छप की आवाज़ के साथ ओर समय
समय पर बर्तन बदलने की जल्दी से

टूटे छप्पर की मरम्मत करा पाने की बाबा
के सपने फिर अधूरे ही नज़र आने

खूंटे से बंधे लाली गाय ओर बकरियों पीठ
पानी से भीगा हुआ मायूस करता

घर से बाहर जाने तक का रास्ता कीचड़
से लतपत सा क्यों दिखाई देता

रात में चूल्हें पर भीगे पलाश के टुकड़े रोटी
को पकाने की जिद में बुझने लगते

मोम की पीली रोशनी से माँ बाबा के चुराते
नजरो में जवाब तलासने लगती

माँ की भीगी साड़ी के कोने से बूँद बूँद पानी
गिरता जैसे छप छप बर्तनों पर

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2 JUL 2022 AT 22:34

छप छप की आवाज़ के साथ ओर
समय समय पर बर्तन बदलने की जल्दी से

टूटे छप्पर की मरम्मत करा पाने की
बाबा के सपने फिर अधूरे ही नज़र आते

खूंटे से बंधे लाली गाय ओर बकरियों
पीठ पानी से भीगा हुआ मायूस करता

घर से बाहर जाने तक का रास्ता कीचड़
से लतपत सब सा क्यों दिखाई देता

रात में चूल्हें पर भीगे पलाश के टुकड़े
रोटी को पकाने की जिद में बुझने लगते

मोम की पीली रोशनी से माँ बाबा के चुराते
नजरो में जवाब तलासने लगते

माँ की भीगी साड़ी के कोने से बूँद बूँद पानी
गिरता जैसे छप छप बर्तनों पर

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19 MAY 2022 AT 8:14

हम दोनो इतने दूर हो कर भी इतने पास हुए
इतना शायद पास रह कर भी पास ना होते!

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