मेरे हिस्से तेरे हिज्र की रातें
और उसके हिस्से ईद आई हैं
ख़ुदा खैर करे
बिछड़ कर तुझसे कब हमने ईद मनाई हैं....!!!!-
Hometown-city of nawab -Lucknow
वक़्त ऐसे गुजरा जैसे गुजरे चस्मे से पानी
कुछ लम्हा ही बीता पैरों पर खड़े अपने
और गुजर गई जवानी..!!!!-
एक आस बाक़ी हैं अभी तुम्हारी तलाश बाक़ी हैं
इस सात बरस् के सफ़र मे
तुम्हारे शहर की बरसात अभी बाकी हैं
बूंद बूंद बिखरे हैं मेरे जैसे ही मेरे शेर सभी
समेट कर अब इन्हें बस घर पलटना बाक़ी हैं...!!!!-
जिगर को कुरेत्ती हैं गुजरती हुई हर रात
हर शाम तेरा ही ख्याल होता हैं...!!!!
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गुजरा हुआ कल अपना बस काग़ज़ पर उतार देता हूँ
और लोग समझते है मैं शायर कमाल का हूँ......।।।।
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अधूरा ख्वाब अधूरी चाहत और अधूरे हम
वीरां दरियाँ डगमगाती क़स्ती और अकेले हम
तूफ़ाँ आए क़स्ती डूबे और फ़ना हो हम...!!!!
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बे ताबीर मेरा वो ख़्वाब था कभी उनको हमसे प्यार था
हांथों की लकीर नहीं मिली और उस ख़्वाब की ताबीर नहीं मिली....!!!!
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ख़ुदा करे तेरी याद के बादल फटे और सैलाब आए
की इस बरस तो हम तेरे अज़ाब से बाहर आए..!!!!
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तू याद आ और खूब आ
की ये रात ज़रा तवील हो
लिखते लिखते तुझको गुजरे बाक़ी ये उम्र मेरी
खुदा करे - ए- फैज़- ये उम्र ज़रा तवील हो...!!!!!
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अज़ीब सा रिश्ता है तुझसे मेरा
तेरी क़ुर्बत मे सुकूँ भी नहीं
तेरे बग़ैर सब्र भी नहीं.... !!!!-