वो इक इक बात पे रोने लगा था
समुंदर आबरू खोने लगा था
लगे रहते थे सब दरवाज़े फिर भी
मैं आँखें खोल कर सोने लगा था
चुराता हूँ अब आँखें आइनों से
ख़ुदा का सामना होने लगा था
वो अब आईने धोता फिर रहा है
उसे चेहरे पे शक होने लगा था
मुझे अब देख कर हँसती है दुनिया
मैं सब के सामने रोने लगा था
~राहत इंदौरी
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मैं घास हूँ, मैं अपना काम करूँगा
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊँगा।
- पाश-
है ख़बर मुझे इस बात कि
तेरा लौटना अब और भी मुश्किल है
क्योंकि हर राह में पत्थर मैंने ही जोड़े है!-
ख़मोशियाँ ही बेहतर है,
अल्फाज़ों से निस्बत रूठ जाया करतें हैं।
वाकिफ हैं हम उस मंजर से भी
जहां सन्नाटों से रब्त टूट जाया करतें हैं॥
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मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिए
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिए
हर इक सूरत भली लगती है कुछ दिन
लहू की शो'बदा-कारी से बचिए
शराफ़त आदमियत दर्द-मंदी
बड़े शहरों में बीमारी से बचिए
ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठें
तकल्लुफ़ की रवा-दारी से बचिए
बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिए
~निदा फ़ाज़ली-
जब हर्फ़ यहाँ मर जाएगा
जब तेग़ पे लय कट जाएगी
जब शेर सफ़र कर जाएगा
जब क़त्ल हुआ सुर साज़ों का
जब काल पड़ा आवाज़ों का
जब शहर खंडर बन जाएगा
फिर किस पर संग उठाओगे
अपने चेहरे आईनों में
जब देखोगे डर जाओगे-
गुजर जाएगा, गुजर जाएगा
मुश्किल बहुत है, मगर वक्त ही तो है
गुजर जाएगा, गुजर जाएगा
जिंदा रहने का ये जो जज्बा है
फिर उभर आएगा
गुजर जाएगा, गुजर जाएगा
माना मौत चेहरा बदलकर आई है,
माना मौत चेहरा बदलकर आई है,
माना रात काली है, भयावह है, गहराई है
लोग दरवाजों पे रास्तों पे रूके बैठे हैं,
लोग दरवाजों पे रास्तों रूके बैठे हैं,
कई घबराये हैं सहमें हैं, छिपे बैठे हैं
मगर यकीन रख, मगर यकीन रख
ये बस लम्हा है दो पल में बिखर जाएगा
जिंदा रहने का ये जो जज्बा है, फिर असर लाएगा
मुश्किल बहुत है, मगर वक्त ही तो है
गुजर जाएगा, गुजर जाएगा-