Navneet Tripathi   (नीत)
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Joined 24 October 2018


Joined 24 October 2018
7 JUL 2023 AT 15:42

माना की तुझसे अब नही है राब्ता कुछ भी ,
पर तु खुश है इस बात का इल्म होना हक है मेरा।

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8 APR 2023 AT 18:14

खाँ गया वो मेरी भावनाओ को,
कि अब मै लिखना भूल गया हूँ।

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10 APR 2022 AT 22:51

है रात अकेली सी ,शहर ठिठुरता हुआ और जिस्म मेरा धधकता सा,
एक स्पर्श हो तुम्हारा और मैं टूटकर बिखर जाऊ तुम्हारी आगोश में ताकि समेट सको तुम मुझे और कैद कर लो मुझे वहा जहा से रिहाई न मिले ।
तुम्हारा मुंताजिर

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28 DEC 2021 AT 19:10

जब कोइ व्यक्ति प्रेम (आरंभिक आकर्षण) मे होता है तो वह हर घडी अपना सर्वस्व नौछावर् करने को तैयार रहता है परंतु जब उसे अपने प्रेम के बदले प्रेम नही मिलता तो वह अपने आपको और उसके लिए अपने प्रेम को सीमित कर लेता है , यही पर वो सबसे बड़ी गलती करता है प्रेम और आकर्षण को समझने मे ।
प्रेम स्वयं मे पूर्ण है, इसको अर्थ देने के लिए किसी अन्य व्यक्ति / वस्तु की आवश्यकता नही ।

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26 DEC 2021 AT 13:18

हर मोड पर मौका देखकर वार करते है
और वो कहते है की मुझसे बेइंतहा प्यार करते है।

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17 MAY 2021 AT 19:43

मै चाँद रोज तकता रहा, वो चाँद खुद मे खिलता रहा
मै तकता रहा और खो बैठा, वो चाँद था बस खामोश रहा
जज्बातो के जाल मे एक बार मै फिर से उलझा हू
वो तो चाँद है सबका ही, वो बस खुद मे मस्त रहा
हर सोच मेरी, हर ख्वाब मेरा मै उससे जोडा करता हू
उम्मीदे पाले बैठा मै बस जिक्र से महका करता हू
कितना कुछ है कहने को पर रहता हु मै चुप चुप सा
जब शब्दो को माने न मिले तो ख़ामोश ही रहना है भला
मै हसमुख सा, मै झगड़ालू ,मै प्रेम व्यक्त करने वाला
अब रहता हु मै चुप सा , मै बोलु ना अपनी व्यथा
इतना विपरीत मै खुद से हु, है कुछ नही बस असर तेरा।

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21 APR 2021 AT 15:53

की है एक बार फिर जुर्रत खुद को दुश्मन बनाने की
खुद को दर्द देने की, खुद की खुशियाँ गवाने की
है इल्म की अदायगी बहुत महंगी पड़ेगी मुझे
तुझपे मर मिटने की , तुझे अपना बनाने की

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12 FEB 2021 AT 19:14

छुपा लू तुझे अपनी बाहों के दरमियाँ ,जरा सा हक तो दे
कर लू तुझसे कुछ गुफ़्तगू, जरा मेरे लफ्जो को जफ़्ज तो दे
है ये इत्तफाक नही मेरा नाम तेरे नाम से जुड़ना
हर पल मेरा तेरी चाहत मे डूबे रहना
गर ये हकीकत है तो मेरी साँसों को अपनी साँसों मे भर तो ले
छुपा लू तुझे अपनी साँसों के दरमियाँ, जरा सा हक तो दे

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27 JAN 2021 AT 0:43

तुम एक आग की तरह धधकती रहती हो मेरे जहन मे
जलता रहता हु मै हरदम तुम्हारे बिन
है मेरी ख्वाहिश कि ऐसे ही धधकती रहो तुम
वक़्त के उस आखिरी पड़ाव तक
जहाँ पर मै तुम्हे( मोहब्बत /जज्बात ) को
इस आग मे जलाकर भस्म ना का दू
बस धधकती रहो तुम

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8 JAN 2021 AT 5:51

वो चाहती थी की किसी को न बताऊँ मै कि मुझे ईश्क है उससे
वो चाहती क्या थी असल मे, मुझे बहुत बाद मे पता लगा

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