मुझे प्रेम करते रहना है तुम्हें
समय के आयामों से परे
तुम्हें ऐसे चाहना है जैसे
तुम कभी मिलोगी मुझे और
दास्तां अधूरी है जो वो मुकम्मल हो जाएगी......!?
मगर ये बात और है कि
तुम ख्यालों में जेहन में जिस तरह साथ हो
उस तरह हकीकत में हासिल हो नहीं सकती
बस चाहते रहना तुम्हें और ना पाना कभी
ये मेरे लिए सुकून का जरिया है-
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वो अब फ़ासले चाहता है ताल्लुक़ में इस तरह भी;
राब्ता रहे उससे मेरा और ना रहूँ उसके करीब भी-
क्या पाकर मैंने क्या खो दिया था ये सोचकर ही बस मैं रो दिया था
वो मिला तो था कुछ पल के लिए बस उन्हीं पलों में मैं जी लिया था-
मिलना उससे फिर कुछ इस तरह से हुआ
मैंने देखा वो रोया और ख़ाक मैं हुआ
बहुत मिन्नतें की उसने हमसे बात करने की
उस रोज इस कदर जो ख़ामोश मैं हुआ-
उम्मीदों का अब मर जाना अच्छा है
अब बेपरवाह हो जाना अच्छा है
जिनसे वफ़ा की चाहत किए बैठे थे
उनका अब बेवफ़ा हो जाना अच्छा है-
ये गुल शाखों पे यूँही आबाद रहेंगे
हम दोनों मिलते और बिछड़ते रहेंगे
कभी तू ठहर जाएगा बनकर बूँद ओस की
तो कभी हम पतझड़ से बिखरते रहेंगे-
नजदीक उसे बुलाते हो फ़िर हिज़्र की रात करते हो
दिल को लगाते हो फ़िर उससे ही बेदिली करते हो
करते हो उसको चाह कर तुम आबाद बेहद;
फ़िर ठुकरा कर उसको सभी तरह से बर्बाद करते हो-
उसने सोचा तो होगा एक बार जुदा होते हुए;
मिलेंगे फ़िर कभी अगर तो बातें मुक्कमल होंगी-
तेरे शहर में तेरी गली में और तेरे घर के भी कितने पास;
देख इतना पास होकर भी कितना दूर हूँ तुझसे मेरे यार-
मैं उससे जुदा हो कर अब तलक जिंदा हूँ;
बस यही एक ग़म मुझे परेशाँ कर रहा है-