Navneet Anand   (नवनीत 💕)
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जज़्बात लिखता हूँ !
Joined 16 October 2017


जज़्बात लिखता हूँ !
Joined 16 October 2017
7 DEC 2021 AT 1:11

अभी तो सिर्फ़ खुशबू से तुम्हारी रूबरू हुआ है दिल मेरा,
फ़िरदौस-ए-दिल में तेरे इश्क़ का गुलिस्तां सजाना अभी बाक़ी हैं ।

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30 NOV 2021 AT 0:11

यूँ बालों में गजरा लगाकर मोहल्ले से गुज़रा न कीजिए,

कोई आशिक़ जो 'गुज़र' गया तो इल्ज़ाम आपके सर होगा !

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21 SEP 2021 AT 1:20

मत घोलो मेरी ज़िंदगी में फिर मोहोब्बत का ज़हर,
मुझे छोड़ो, मुझे बख्शो, मुझे 'आबाद' रहने दो !
मत बांधो मेरी रूह को अपनी चाहतों के जंज़ीर से,
मुझे छोड़ो, मुझे बख्शो , मुझे 'आज़ाद' रहने दो !

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19 AUG 2021 AT 23:46

एक तूफां सा उठा है आज फिर से सीने में,
टूटी-बिखरी यादों के सैलाब में दिल डूब रहा है,
ऊपर बादल भी कौंधते जज़्बातों तले फट पड़ा है,
इन तेज़ हवाओं में भी 'अनकही' बातों का शोर है,
हर तरफ़ उखड़े दरख़्तों की 'लाशें' बिखरी हैं,
कभी आब-ए-इश्क़ से सींचा था जिनको,
हर एक मकां, वो हर आशियाँ,
जिनमें तेरी कुछ खूबसूरत यादों का बसेरा था,
वो सब आज इस सैलाब में डूबा रहा है....और मैं भी !

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4 JUL 2021 AT 1:54

लौटकर देखने की हिम्मत नहीं मुझमें
हालात उस जर्ज़र मकान की,
जिसे कभी मुहब्बत की ईंटों से खड़ा किया था मैंने,
तेरे दिल के पते पर ।

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21 JUN 2021 AT 16:08

कुछ जज़्बात होते हैं, जिन्हें हम क़ैद कर लेते हैं,
हमेशा के लिए...
मन के किसी अंधेरे कमरे में, सभी से दूर...
इस क़दर की लाख कोशिशों के बावज़ूद,
न कोई उसे ढूंढ पायेगा, न उसकी चीखें सुन पायेगा,
मग़र उसके वज़ूद की ख़बर बस खुदको होती है...

और शायद 'उसको' भी जिसके लिए कभी वो जज़्बात 'ज़िंदा' थे !

'शायद' !

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1 JUN 2021 AT 0:34

तुम वो किताब हो....

(Read in caption)

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27 MAY 2021 AT 19:45

इन पत्तों पर ठहरी इन बारिश की बूंदों को देखो ज़रा,
समंदर के सारे राज़ छुपाकर, मोतियों सा चमक रहा है ।

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19 MAY 2021 AT 20:38

मैं रेत का किनारा, तुम जैसे झील का पानी,
हर रोज़ मुझे ज़रा-ज़रा चूमती हो तुम !

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15 MAY 2021 AT 23:59

तुझसे कहूँ तो तेरे रूठने का डर है,
न कहूँ तो दिल टूटने का डर है...

क्या करूँ ?.....हद है !

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