Navita Bhatia   (Navita Bhatia✍️)
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Joined 20 May 2020


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Joined 20 May 2020
12 MAR 2022 AT 10:44

अद्भुत छटा व्योम की, मन हर्षित कर जाए
दिव्य रूप आकाश का, कुदरत दियो दिखाए।

ओढ़ के भानु की लालिमा, देखो नभ इतराए,
फिर आए वो नीलधर, और अपना रंग दिखाए।

मेघों संग सूरज ने मिल कर ऐसी होली खेली,
अनुपम रंगों की देखो तो अद्वितीय बनी रंगोली।

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9 MAR 2022 AT 10:34

किस सोच में गुम हो ?
कहाँ अपना अस्तित्व ढूँढ रहे हो?
किसी की आँखों में, किसी की बातों में?
या फिर किसी के व्यक्तित्व में?

पर तुम तो तुम हो।
हाँ, किसी की आँखों में तुम अपना चेहरा तो देख सकते हो
पर ख़ुद को ढूँढने के लिए तुम्हें मन की आँखों का सहारा चाहिए।

किसी की बातों में तुम्हारा ज़िक्र तो हो सकता है,
पर तुम क्या हो, यह तुम्हारे सिवा कोई नहीं जानता।

कोई तुम्हारे व्यक्तित्व का आईना क्यों बनेगा,
मत भूलो,
तुम खुद में एक बेमिसाल शख़्सियत हो,
तुम जैसा दूसरा कोई नहीं।

तो मन के दर्पण को खोलो ….
और रूबरू हो जाओ उस लाजवाब हस्ती के,
जिसे तुम एक अरसे से नज़रंदाज़ करते आए हो।
यक़ीन मानो यह मुलाक़ात तुम्हें एक बहुत ही
उम्दा शख़्सियत के क़रीब, बहुत क़रीब ले जाएगी।


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15 JAN 2022 AT 4:03

अपने अधूरे ख़्वाबों को पलकों पर सजा कर।
कल जब भोर का आग़ाज़ होगा
तो हम एक और दिन साकार करेंगे…..
अपनी अधूरी ज़िम्मेदारियों को निभा कर।


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8 OCT 2021 AT 8:35


इश्क़ तो हुआ है हमने उनसे बेशक,
पर कुछ दिनों से दूरियाँ कुछ बढ़ सी गई हैं।
हसरत भरी निगाहों से हम उन्हें तकते रहते हैं,
और वो हैं कि बस मुस्कुरा भर देते हैं।

ये आँख मिचौली का सिलसिला न जाने कब शुरू हुआ,
पहले तो हम यूँ नज़रें न चुराया करते थे।
देखते ही उन्हें गज भर दूर से,
हम होंठों से लगा लेने को मचल जाया करते थे।

अब तो एक अरसा हो गया हमें यूँ क़रीब आए,
क्या करें अब हमारे बीच ‘वो’ बात नहीं रही।
हालात कुछ ऐसे हैं कि उन्हें छूना तो दूर,
जी भर देखने की भी इजाज़त नहीं रही।

अब हम उन्हें मुस्कुराता देख मुँह फेर लेते हैं,
वो भी जी भर हमें चिढ़ा कर ख़ूब मज़ा लेते हैं।
पर यह नज़रअंदाजी का खेल अब हमें अच्छा नहीं लगता,
भाड़ में जाए डाइयटिंग, चलो आज हम अपने बिसरे हुए प्यार,
यानी कि ‘गाजर के हलवे’ को होंठों से लगा ही लेते हैं।

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7 OCT 2021 AT 8:49

जो राह तुम तक नहीं जाती ,
उम्र भर उसी राह की राह तकते रहे।
भूल कर हम खुद की ख़ैरियत का ख़्याल,
तुम्हारे दिल तक पहुँचने की राहगुज़र ढूँढते रहे।

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30 SEP 2021 AT 9:19

हसीन रात की धुन पर फ़िदा हो,
महताब ने आज यह दिलकश साज़ छेड़ा है।
ज़िंदगी की मसरूफ़ियों से बेक़ैद हो,
आप भी ज़रा ग़ौर फ़रमाइएगा।

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27 SEP 2021 AT 8:43

मिज़ाज कुछ बदले बदले से हैं उनके,
हमें आजकल वो ख़ुद से बेगाना बना बैठे हैं।
ख़ुदा जाने वो ख़फ़ा हैं हमसे,
या फिर हमसे दूर जाने का ही मन बना बैठे हैं।
ग़र बात नाराज़गी की है, तो सच मानिए
हम सौ बार भी मना लेंगे उन्हें,
पर ख़ुदा न करे अगर इन दूरियों में ही वो ख़ुश हैं
तो हम अपनी ख़ुशी की ख़ातिर कभी परेशान नहीं करेंगे उन्हें।

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23 SEP 2021 AT 8:59

इन आँखों में ख़्वाब हैं उम्र भर के लिए,
पर मलाल भी हैं बहुत कुछ छूट जाने के।

जो मिला उसकी ख़ुशी और जो रह गया उसके लिए ग़म
जीत हासिल हो तो चमक और निराशा हाथ लगे तो नम।

कभी फलक को छू लेने के सपने हैं तो कभी ज़मीन पर भी मायूसी है।
आफ़ताब को देख कभी हंसती हैं तो कभी रेत को गले लगा बिफ़रती हैं।

एक ज़रिया हैं ये दुनिया को खुद की नज़र से देखने का,
प्यार, डर, विश्वास, क्रोध को नि:शब्द हो व्यक्त करने का।

जज़्बात हैं चाहतें भी है एहसास और ख्वाहिशें भी हैं,
नफ़रत है, मायूसी है, और सच पूछो तो कुछ फ़रमाइशें भी हैं।

कभी गौर से इन्हें पढ़िएगा जनाब….
कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती हैं।
दुनिया भर का ख़ज़ाना समेटे हुए हैं ये अपने अंदर,
तभी तो बहुतों की तलाश इन्हें देखते ही ख़त्म हो जाती है।


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17 SEP 2021 AT 9:13

तारों की ओढ़ चादर,
चलो खो जाएँ सपनों के जहां में।
और लुत्फ़ उठाएँ चाँद और तारों की
दोस्ती की ख़ूबसूरत महफ़िल का।

तनहा नज़र आता है बेशक महताब हमें हमारे जहाँ से,
पर ज़रा ग़ौर फ़रमाएँ हुज़ूर….
हज़ारों तारे दिन रात उसकी हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं।
कभी जब बादलों का घेरा चाँद के क़रीब भी आता है,
यह तारे भी उस दिन बहुत उदास नज़र आते हैं।

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14 SEP 2021 AT 9:36

इस तरह तो मत निहारो मुझे इन सवाल भरी नज़रों से,
जानता हूँ मैं बहुत दिन हुए, कुछ जज़्बातों को अल्फ़ाज़ न मिल सके।
ज़िंदगी अपनी रफ़्तार से चलती रही बेशक़,
पर हमें जिनका इंतज़ार था उन सवालों के जवाब न मिल सके।

एक सच और भी है कि इन दिनों दिल के क़रीब जो दर्द रहे,
उनका एहसास कभी लफ़्ज़ों में बयान न हो पाएगा।
भले ही काग़ज़ और कलम ने कभी साथ नहीं छोड़ा हमारा,
पर इतनी गहराई को चन्द लफ़्ज़ों में समेट पाना भी मुमकिन न हो पाएगा।


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