हो इक बात अगर मैं पुछूँ सच में बतलाना क्यूँ छोड़ सब तुने मुझको चुन लिया
ना मैंने चुना है तुझको ना तूने चुना है मुझे इत्तेफाको ने किस्सा बुन लिया
हो तेरा शुक्रिया....हो तेरा शुक्रिया
सच बोली तू मुझसे तो कितनी कितनी बार कुछ दिन छुप के अभी मिलते हैं ना यार बोली मुझसे तू कितनी कितनी बार लोग बाग पूछते हैं खमाखा सवाल छेड़ते हैं तेरे नाम से
नाम तेरा जो मुझसे जुड़ गया लो शहर भर को किस्सा मिल गया उनके तानो का करियो ना ख्याल इश्क ही क्या जो हो ना कुछ बवाल