आहट सी हुई आज फिर
उस अनजाने शख्स की करीब से गुजरने की
आहत जो कर गया था अनजाने ही सही इस मन को,
मौसमी थी बाते...बारिश में जो धुल गयी
सर्दी के अलाव में जो जल गयी
बस हल्का सा एहसास है बात अब नहीं कुछ खास है,
हसरते साथ होने की भी मिट गयी
याद करते रात भर नींद भी पिट गयी
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