कभी सोचा तुम्हें वीरान लम्हों में,
तो कभी महकती शाम में।।
कभी कर्राते हुए दर्द में,
तो कभी बैठे- बैठे आराम में।।-
इतने बड़े न ख्वाब हैं मेरे।
न इतनी बड़ी कोई हस्ती है।
शब्द पिरोकर ... read more
क्या तुम वहीं हो!
जहाँ से ये रास्ते अलग हुए थे
या बढ़ चले हो फिर से सफर में,
किसी की आश में किसी की तलाश में।
क्या तुम भी खामोश रहती हो!
अपने ही ख्यालों में मदहोशी में,
दिन के उजाले में चाँदनी रात में।
क्या तुम भी रोती हो!
बीते कल की याद में या पश्चात्ताप में,
अकेले बीरानगी में या फिर किसी के साथ में
बंद कमरे में या फिर खुले आसमान में।-
तुम्हारी खूबसूरत आँखें देख कर,
भगवान भी शरमा जायेंगे।
कितनी नक्काशी से तरासा है इन्हें,
खुद ही भरम में पड़ जायेंगे।।-
तुझसे जुड़े हर किरदार से दूर होना चाहता हूँ।
उनके लब्जों से तेरी बातों की महक आती है।।-
जंगल
शेष बचा कुछ वक्त अभी भी,
छूट न जाए इन हाथों से।
बचा ले इंसा इस धरती को,
तू अपने ही विनाशों से ।
सब कुछ तो है सामने,
फिर भी इसे नकार रहे हैं।
काट कर के अपनी सांसें,
फिर घरों को सवार रहे हैं।-
muskura deta hu bebak hokar
bas thoda sa rona cahta hu .
ek kinara de dena apni god ka
mai sar rakh kar ke sona cahta hu.
mile bhi kai or bichde bhi kai .
mai is duniya ki bheed mai .
bas ek tera hi hona cahta hu.
ha ho jaata hu kabhi hataash mai
sabne bas wkt hi to nikala hai .
bas ek tu mera ho jana yara .
or mai tera hona cahta hu..-
ये रात सुहानी लगती है,
तेरी बात नूरानी लगती है।
वो जो मेरी गली से गुजरती है,
जानी पहचानी लगती है।-