Naveen Suthar  
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Joined 4 August 2019


Joined 4 August 2019
13 FEB 2022 AT 18:44

ना जाने वो कौन थी,,

हर तरफ़ शोर और वो मौन थी,,
चांद से चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट
आंखों में तारों सी चमक
मासुमियत भरा चेहरा उसपे वो छोटी सी बिंदी
हाय ! किसी अप्सरा की तरह थी वो

अनजान शहर की वो अजनबी,,
ना जाने वो कौन थी,,

मैं पूरे रास्ते उसके ख्यालों में था
उसके चेहरे उसकी अदा को बस लिख रहा था
महसूस कर रहा था
जिसे आज तक कभी देखा ही नहीं
ये दिल आखिर उसके लिए कैसे धड़का

शहर बदले वक्त भी बदला
रब का दर फिर खुला
फिर एक नए शहर में वही मिली
इस बार आंखों से आंखे मिली
एक छोटी सी मुलाकात हुई
उस अजनबी की अब पहचान हुई — % &

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18 JAN 2022 AT 13:32

ऐसा ही चलता रहा तो जिंदगी नहीं तुम गुज़र जाओगे
कसम बहुत खाते हो देखना एक दिन बिन मौत मार जाओगे

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29 DEC 2021 AT 22:24

अंदर है समन्दर है
खामोश सा बवंडर है,,
धोखे का खंजर है
दर्द का मंज़र है,,
हो चुका खंडहर है
दिल अभी बंजर है,,
ना कोई रहबर है
ख़्वाब भी बेघर है,,
ख़ामोश रहूं बेहतर है
जो हुआ मुकदर है.......

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20 DEC 2021 AT 20:30

वो हमारे लिखे खत पढ़कर भी बने अनजान है
कोई तो बता दो उसे की यहां हम कितने परेशान है

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19 DEC 2021 AT 20:25

सोच भले ही नयी रखो
संस्कार तो पुराने ही अच्छे है....
मैं सही हूँ की नहीं ये देखो
बाकी तो सारे ही अच्छे है......

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18 DEC 2021 AT 21:41

कोहरे में ढ़का-ढ़का सा शहर मेरा,,,
और चाय की चुस्कियों में घुली यादें तुमहारी...

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15 DEC 2021 AT 22:47

तारीफ़ अपने आप की करना फिजूल है,,
खुशबू तो खुद ही बता देती है कौन सा फूल है,,,,

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7 OCT 2021 AT 18:28

Rooh se jude rishton pr,,
Farishton k pahre hote hai,,,,
Koshish krlo todne ki,,
Ye aur bhi gahre hote hai,,,,

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16 SEP 2021 AT 12:40

Suthar.writes

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8 JUN 2021 AT 11:56

ZIDD pr aa jaau to
palat ke bhi naa dekhu...

Mere SABAR se abhi tum
wakif hi knha ho......

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