Naveen Kumar   (Naveen a new way)
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Works in PNB Bank (O.B.C.)
Loves Music and Loves writing
Joined 28 April 2019


Works in PNB Bank (O.B.C.)
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1 JAN AT 22:21

पर समझते क्यों नहीं मजबूरी हमारी

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1 JAN AT 8:16

नव वर्ष कि नव अभिलाषा,
पुरी हो सबके मन कि आशा,
सब मिलकर खुशिया मनाये, मन में न हो बैर जरा सा,
दुख दर्द रहे हम से कोशो दूर, चिन्ता न हो डर फ़िजूल
इस नव वर्ष ,सबके हो बिगड़े काज हो सफ़ल,
हर मुस्किल का मिल जाये हल,
मन मे रहे सदा..आशा और विश्वास,
जरुरत मे रहे..हम सब एक-दुजे के पास,
यही करते अग्रिम नव वर्ष, सब तुमसे आस..
यही करते अग्रिम नव वर्ष, सब तुमसे आस..

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7 AUG 2024 AT 8:32

सुबह-शाम आये तेरी याद
लेकर के एक फ़रियाद
के मौसम ए जुदाई कब खत्म होगी..
तन्हाइयो मे लिखता जा रहा हूँ किताब
के आंखे तुम से कब नजर होंगी

यकीनन पल वो जन्नत सा होगा,
जब तू मेरे करीब, हर पल एक मन्नत सा होगा
दे देना बेरुखी के सारे जवाब
नज़रे तुमसे न अब बेनज़र होंगी

न जाने कब ये मन्ज़र होगा
उदासियो के सीने मे कब खन्जर होगा
दिखाना न मुझे कोइ सब्ज बाग
खवाइशे तुममे ही अब हज़र होंगी

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5 AUG 2024 AT 0:04

ओ बादल के झुले, चल जरा आसमान छु ले..
हवा के हिलोरो से, करा आसमान से बाते..
इतना उंचा उड़ा के हर कोई हमे ताके
ऐसा झूला.. के सारे गम दे भुला
कुछ पल को ही सही मेरी हरफ़िक्र दे उड़ा
जाने कहाँ गये, अब दिखते ही नहीं
वो मस्ती भरे सावन के झुले,
जाने कहाँ हैं..
अब सुनने को मिलते वो पारम्परिक लोक गीत
आधुनिकता की चकाचौंध मे जिन्हें हम भूले..
अब तो स्वपनिल ही है
मुस्कुराती सी, हवा संग कुछ गुनगुनाती सी झूलती, घूमती जिंदगी
जल्द ही टूट जायेगा खवाब ही तो है
पर इस स्वपनिल खवाब से मुझे न जगा..2*

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4 AUG 2024 AT 16:21

दोस्ती मेरी दुनियां, दोस्ती मेरी पेहचान
है मिर्दु भाषा, उदारता और अपनापन लिए यह
गुमानामी के गम से है अन्जान..
बस युहि बढ़ती रहे ये मुझमे,
संग जोड़ते दर्बदर नये दोस्तों को, पुरानो से बढ़ाये ओर दोस्तान..
दोस्ती मेरी दुनियां, दोस्ती मेरी पेहचान
पग-पग जीवन के सफ़र को बनाये आसान..

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9 MAY 2022 AT 7:32

यादों में हरदम रहेंगे, अनमिट याद बनकर,
आएंगे होठों पे सदा, मीठी बात बनकर,
उनका मुस्कुराता सा चेहरा आयेगा याद सदा
यादो में रहेंगे , एक मिठास बनकर
हाँ अब बहुत दूर है वो..
पर न दूर समझना उन्हें कभी खुद से तुम,
देंते रहेंगे आशीष सदा, वो हमारा नभ-आकाश बनकर

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11 SEP 2021 AT 7:11

भीगीं भीगी सी तुम्हारी अल्के,
झुकी झुकी सी तुम्हारी पलकें,
गुम हैं कहीं..
अरमान अधूरे से हुए अब कल के है

रूबरू नहीं हो तो लगता हैं
आंखों की शबनम हुई हैं गुम
अरमान कुछ भारी, कुछ हल्के हैं,

लगा थे ये पल, कुछ पल के हैं
जाना हुए हम, कुछ दूर तुमसे
आंखे रोई नहीं, पर आंसू ही आंसू छलके हैं

ये इंतज़ार ए दीदार भी जाने कब तलक हैं,
दिल कहता हैं होगी मुलाकात जल्द ही,
कुछ ख्वाब सजाये आसमान के फलक पे हैं

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23 JUN 2021 AT 0:17

आराम के लिए-युक्ति हजारों मिल जाएंगी..
मंज़िले तो परिश्रम की घड़ी ही पार कराएंगी
यही कहती हैं हमारे पूर्वजों की सुक्ति
बिना परिश्रम के कठिन हैं आराम और मुक्ति.

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21 MAY 2021 AT 20:30

रोक लेना था मुझे हाथ पकड़कर
या कहते कुछ जज्बात जकड़कर
बिगड़नी तो थी ही बात..
जब दोनों ही थे अकड़कर

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29 MAR 2021 AT 8:57

रंगो की है अपनी भाषा, रंगो की हैं अपनी बोली
प्रीत का रंग होता हैं लाल, प्रियतम को लगाओ भर भर गुलाल
हरा रंग होता हैं प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक, आओ जाए हम इसमें भीग,
पीला रंग की होती हैं धार्मिक धार, होके इसमें सरोबार बनो उदार
नीला, संतरी और गुलाबी सब पर यूं बिखराओ, मन के सारे बैर मिटाओ,

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