जाल मैं फंसे थे मोहब्बत के ऐसे
की खुद ही की बर्बादी को भी
मुस्कुराते हुए बाहों में खुशी खुशी
भर लिया था,
हो कर बेज़्ज़त इश्क़ मे किसी के
यह दिल भी हमारा टूट कर पूरी तरह से
मर लिया थाl
और नहीं था आसान अपने
मनपसंद शख्स को इस कदर
भूल जाना भी,
हमने भी इश्क में किसी के
मौत तक का सफर भी मरने से
पहले ही बड़ी आसानी से तय
कर लिया थाl-
खुद के इतना करीब लाकर पल
भर में कितना दूर कर दिया
था,
बसा करते थे जिस दिल में
कभी उसी दिल को उन्होंने
जख्मो से भर दिया था।
और धड़कता था दिल हमारा
जिनका नाम लेकर भी कभी,
बड़ी बेरहमी से उन्होंने ही दिल
हमारा किसी कांच की तरह तोड़
कर चकनाचूर कर दिया था।-
हुस्न के जादू ने उनके कुछ इस
कदर धड़कनों पे शिकंजा कसा
है,
मोहब्बत मैं उनकी यह नादान
सा दिल फसा हैl
दिखता है यह जहां भी उस
जन्नत से खूबसूरत,
उनकी आंखों में ही कुछ
अजीब सा नशा हैl-
वह चमकती धूप सी,
मैं ढलती शाम सा।
वह लड़की चुलबुली,
में ठहरा गांव का लड़का
थोड़ा आम सा।
वह खुशियां बिखेरती बरसात सी,
मैं गरजता बादल बदनाम सा।
वह काली रात में चमकती चांदनी,
रंग मेरा थोड़ा श्याम सा।
वह हर वक्त चहकती,
मैं लड़का थोड़ा गुमनाम सा।
वह फूलों सी हरदम महकती,
मैं भवरो की तरह उसका गुलाम सा।
वह छोटी-छोटी बातों में खुशियां ढूंढती,
मैं चाहूं कोई ऊंचा मुकाम सा।
हर जगह पर पूछ है उसकी,
मैं लड़का थोड़ा बेनाम सा।
मैं दूर रखूं उसे हर अपमान से,
वह भी समाज में बढ़ाए मेरा
सम्मान सा।
कह कर उसको अपना मेरा कद बड़े,
कहे जब-जब मुझे वह अपना
कुछ बढ़ जाए मेरा भी मान सा।
बस प्रभु इतनी कृपा रखें
है वह मेरे लिए सीता जैसी,
मैं भी बन जाऊं उसके लिए मेरे
प्रभु "श्री राम" सा।-
बनते हैं हीर रांझा भी सभी
अपनी कहानी में झूठा कौन ही
होता है?
नहीं है "मोल" सच्ची मोहब्बत का ही,
हवस जिस्म की मिटाने वाला भी
बिस्तर बदल बदल कर हर रोज
चैन से सोता हैl
और भरी पढ़ी दुनिया मगरमच्छ
के आंसुओं से भी,
है जो आशिक़ सच्चा टूट कर
वही सिर्फ खून के आंसू रोता है,-
हमारी प्रेम कहानी पर मैं एक
हसीन सी किताब लिख रहा हूं ,
एक दूसरे की मोहब्बत पर
अटुट सा विश्वाश लिख रहा हूं..🌹-
बिन तुम्हारे एक दिन मैं भी टूट
जाऊंगा।
लाख मनाने पर भी नहीं
मानूंगा।
कुछ इस कदर रूठ जाऊंगा।
संभाल लो वक्त रहते इस
रिश्ते की "डोर" को मेरे साथ
मिलकर तुम भी।
वरना तरसी जो आंखें तुम्हारी
भी मुझे देखने के लिए।
तोह मैं भी फिर कभी वापस लौटकर
नहीं आऊंगाl
... NAVEEN BIDHURI-
जायज़ है हमसे नाराजगी भी
तुम्हारी,
आज कल दिलो में कुछ तो
अनबन है हमारीl
हो आज भी फ़ासले चाहे हम
दोनों के दर्मिया कितने ही,
लेकिन इस दिल को धड़कने
के लिए जरूरी है आज भी
मोजुदगी तुम्हारीl-
आखिर कैसे अपनी मोहब्बत को
यूं ही भुला देता,
थे तुम मेरे भी कभी कैसे ना
यह जमाने के आगे कहता?
देखकर तुम्हें बिलकुल वैसा ही
कैसे मैं आज भी खामोश रहता,
है मोहब्बत आज भी तुम्हारे
लिए बेपनाह मेरे दिल में,
बिना तुम्हें बताए दिल यह मेरा
कैसे जाने देता?-
हसीन सा कुछ मौसम तन्हाइयों
से भरी एक लंबी रात है,
गरजते बादल हल्की सी कुछ
बरसात है।
इस दिल में बस याद है उनकी
और यह बेचैन सा मन ना जाने
कुछ अजीब से हालात है,
मन में बसी एक तस्वीर उनकी
मोहब्बत से भरे मेरे कुछ
खूबसूरत से जज्बात है।-