मेरी जिंदगी के सुनहरे किस्सों को संजोकर लिखी डायरी हो तुम..🌹
मेरे दिल के जज़्बातों से बनी एक खुबसुरती सी शायरी हो तुम..❤️-
आज इससे कल उससे कर के मोहब्बत
इश्क को भी खेल बना दिया,
है इश्क करना ही गलत
तेरे मतलब ने मेरे सच्ची मोहब्बत का भी अच्छा
सिला दिया।
था नशा भी कभी जिसको आंखों
में डूबने का तेरी,
छीन कर मासूमियत उसकी ही तेरे झूठे इश्क ने
एक मासूम को भी इस जमाने के आगे अच्छा खासा शराबी बना दिया।
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**चाय सी हो तुम**
चाय सी हो तुम कभी होंठ तोह कभी दिल जलाती हो,
मिलो ना कभी तोह यादों मे तड़पाती हो
छूले होंठ जो एक बार तोह मेरे दिल में बस जाती हो ।
गिरे दूध मे जो पत्ती वैसे बदलते रंग दिखाती हो,
तोह कभी स्वभाव से कड़क बनकर मेरी रातों की नींद चुराती हो।
चाय सी हो तुम है क्या तुम्हारे बगैर ज़िन्दगी मे अहमियत बताती हो,
कभी बात बात पर रुठकर मुँह बनाती हो
तोह कभी मुस्कान से अपनी मिठाश बनकर दिन भर की थकान मिठाती हो।
बातों में तुम्हारी कभी आये अद्रक सा स्वाद तोह कभी मीठी सी चासनी बन जाती हो,
चाय सी हो तुम कभी होंठ तोह कभी दिल जलाती हो
छोडे से ना छूटे ऐसी वह लत लगती हो।-
साथ जो तेरा मेरा छूट जाएगा,
मेरा हर एक ख्वाब भी टूट
जाएगा।
की जो दगा मैने इश्क में वह रब
भी मुझसे रूठ जाएगा।
रहेगी हर एक कोशिश अब से
पाने की तुझे।
हुआ अगर जो इश्क मेरा
सच्चा,
तोह मेरा प्यार वापस फिर लौट
कर जरूर आएगा।-
मोहब्बत कर इस दिल से खता हो गयी,
पल भर खुशियां आज हमारे लिए सजा हो गयीl
हुए इश्क में ना जाने कितने हीर रांझा भी अमर,
कर इश्क उनसे हमारी जिंदगी तोह तबाह हो गयीl
था बड़ा ही गुरुर जिस
मोहब्बत पर कभी हमें,
आज वही दर किनार कर महफ़िल में हमे सरे आम बेवफा हो गयीl-
बसाया जिन्हें इस दिल में जिंदगी
भर के लिए कभी,
उन्हें यह दिल सपनों में भी
कैसे खो सकता है?
इश्क सच्चा ही होगा हमारा भी
वरना झूठे इश्क में कोई किसी के
आंसुओं से कैसे हो सकता है?
और भुलाने की बात करते हैं वह
खुद को,
भला मांगा हो जिसे हर मंदिर
अपनी दुआ में उन्हें
अब चाह कर भी वह दिल
किसी और का कैसे हो सकता
है?-
नजरों का नजरों से नजराना
हुआ है,
आंखों ही आंखों में दिल को
चुराना हुआ है।
बंदे तो थे हम भी सख्त कभी,
लेकिन लगता है आज यह दिल
भी किसी के हुस्न का दीवाना हुआ है।-
फिर मोहब्बत से रूबरू होने
तुम्हारी गलियो मैं तोह आऊंगा ,
रूठे प्यार को अपनी मोहब्बत
फिर से याद दिलाऊंगाl
थाम कर हाथ तुम्हारा जिंदगी
भर के लिए,
भिखरती मोहब्बत के पन्नों को
समेट कर
तुम्हारे मेरे रिश्ते को इस बार
एक खूबसूरत सी कहानी तोह
बनाऊंगाl-
मुझे छोड़ने की आखिर क्या
वजह है यह,
ना मंजूर मुझे तेरी रजा है
यह।
हक तो दोनों ने ही एक दूसरे पर
जताया था।
फिर दिल लगाकर दिल तोड़ना
आखिर किस बात की सजा है
यह?-
ना जाने फिर कब उन्हीं गलियों में वापस जाऊंगा,
याद करने का तुम्हें भला अब कौन सा ही बहाना बनाऊंगाl
थी जिद कभी तुम्हें हमको हर हाल में पानी की,
अब तुम्हारा हमसे इस कदर दूर होना मैं इस दिल को कैसे समझाऊंगाl
भूल जाऊं या रखूं याद तुम्हें पल-पल बस अपने दिल को ही सताऊंगा,
बिखरी मोहब्बत के पन्नों को समेट कर कैसे तुमसे अपना इश्क जताऊँगाl
छोड़ने का फैसला हमें सही ही होगा तुम्हारा भी,
अब रोक कर मुश्किलें तुम्हारी और ना बढ़ाऊंगा।
चंद भर हसीन यादें तुम्हारी इस दिल में समेट कर खुशी-खुशी तुमसे दूर चला जाऊंगा।
कहानी में अपनी तुम्हारी सच्ची और अपनी मोहब्बत को झूठी बताऊंगा,
ख्वाबों में ही सही अब अपने खूबसूरत रिश्ते को में एक तरफा ही निभाऊंगा।-