सरूली💞🏵
Pahadi क्षेत्र की एक सच्ची प्रेम katha
अनु शीर्षक में पढे
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ऐ पहाड़
ऐ पहाड़ इश्क के नाम पर बस तुम हो मेरे पास...
जब अर्धचंद्र तुम्हारे ऊंचाइयों से गुजरता है तो तुम चंद्रशेखर लगते हो..
हिमालय चेहरा और उस पर बुरांश के फूल तुम्हारी साड़ी बन जाते हैं.
और तुम वो साड़ी अलग-अलग फूलों से बदलते हो ।। फूलों की खुशबू तुम्हारा इत्र बन बन जाता है..
ऐ पहाड़ अब में क्या कहूं कि तुम मेरे लिए क्या
हो..
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हुस्न के नजरों जब नजरें मिलती हैं .
तो मन चालाकियां खेलने लग जाता है.
उनके होश खुद की और मोड़ने का
इस बात पर हंसी आती है खुद पे
और फिर उसी के जाल में फंस के
सोचता हूं बहुत बिगड़ा हुआ हूं मैं...
समझ नहीं आता में चाहना क्या चाहता हूं.???
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अठखेलियां
अब वास्ता उलझन से हैं..
किसी रोज मां-बाप की हिफाजते हमारे साथ थी.
गांव के रास्तों से नजर कभी प्राइमरी स्कूल पर पड़ती है
तो मैं अपने बचपन को निहारता हूं .
सारी अठखेलियां और शरारतें सुकून फरमा रही होती है.
उन खेतों पर नजर जाती है जिनकी मिट्टी हमारे हाथ पैरों पर लगी रहती थी.
और हम यूं ही सटक से बिस्तर में घुस जाया करते थे.
अनु शीर्षक में पढ़े
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जब से होश संभाला है तब से मेंने बहुत
अनुभवों को जीया है
पर सब अधूरा है .
बहुत बेचेनी है .
बहुत सवाल है जो जाते ही नहीं.
और मैं फिर एक और अनुभव की तलाश में
निकल पड़ता हूं.....-
अगर शिव जैसा कोई चरित्र है
तो मुझे प्रेम है उनसे
उस मन से जो प्रश्नों से नहीं जुझता
और जिसे संतुष्टि की पराकाष्ठा प्राप्त हो.
उन आंखों से जिन्होंने सत्य देखा है
जो सदा आनंद से भरी रहती है.
उस काया से जिसको महामाया भी नमन करती है.
उस मौन से जो एक सुरूर बनके उनके आसपास रहता है. जो एक घटा में बहके
शांति का निर्माण करता हैं.
फिर में यही कहता हूं कैसे. कैसे. कैसे .
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देखो इधर उधर का शोर थम सा गया है.
अब तुम भी थम जाओ खुद के साथ.
जब तक वक्त नया दौर ना लाये.
आसमान को देखो कैसे चांद सितारों के साथ खेल रहा है.
और फूल बच्चों का इंतजार कर रहे है
बस उन्हें देखने के लिए.
यह पेड़ फूल पंछियां पहाड़ आसमान तारे चांद सूरज कितना कुछ कह रहे हैं और कितना खुश है. बिना शोर के..-
इश्क का दस्तूर बस इतना है
कि वो है.
लफ्जों और अल्फाजों में उसको बांधने की कोशिश बेकार है.
नहीं तो मशहूर गालिबो ने इसे मशहूर किया है..
पर इश्क सच है जिसकी हदें बेहदों में हैं.
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वह जो स्वयं ब्रह्म है और
जो सब भूतों की अधिपति है..
और प्रेम जिनका भोज हैं.
जिनके होने पर मैं अपना होना भूल जाता हूं..
जिनके चरणों में संसार की सारी मांओं का प्रेम
न्योछावर है..
उस प्रेम स्वरूपा ब्रह्मांड रूपा मां काली के चरणों में मेरा नमन
हे मां..🙏
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जंग करो तो ऐसे करो
की हकीकत से जाकर टकरा जाओ.
क्योंकि बिना हकीकत के जीना
भी कोई जीना है.-