विश्व जल दिवस
टेम वो भूल गये सारे
लार भांडयां की लागया करदी ,
बासण, टोकणी , सिल्बर के डेगचे
ठा नळके कानी भाज्या करदी,
पैंडही, गड़गम, ईंटां कै सहारै
दोघड़ सूखी बाज्या करदी ,
एक एक टोकणी पाणी खातर
लुगाईयाँ का चुटली पाट्या करदी।
जेठ के दोफारे म्हं बी
कुएँ तै पाणी ल्याणा हो था
चार घड़ां म्हं कुणबा छिकदा
डांगरां तै बी प्याणा हो था।
नदी म्हं नहाणा, कपड़े धोणा
बरतन पै राख तै जोर लगाणा हो था
कित टेम था सिंगार करण न
सांझ एक टेम बस नहाणा हो था।
बैसाख की लामणी
होठां पै पापड़ी आया करदी।
नाळी म्हं कर आंजळी
माँ आपणी प्यास बुझाया करदी।
घर घर नळके आए जिब तै
हर गाम म्हं डिग्गी हो रह्यी सैं
कमरे कमरे म्हं पाईप दबगे
ऐश कती म्हारी हो रह्यी सैं।
आपणे बख्त न भूल गये हाम
बंद बोतल ईब पीण लगे
मटके, सुराही, डोल भूलगे
आर ओ की जिंदगी जीण लगे।
आज छिड़को आँगण भीतर
नुहा लो गाड्डी टैक्टरी न
काल खत्म होज्यागा पाणी
तो नहीं बणैगा फैक्टरी म्हं
धन माया बंगले जोडां
हाम आपणी संतान की खातर
रै बिन पाणी क्यूकर जिवैंगे
पाणी बचाओ उनकी खातर ।।।
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तन्हा लम्हो ने
लफ़्ज़ों का सहारा ले लिया