मगर कब तक करेंगे ये बात है, हां, पता है की सब सुलझा देंगे हम मगर क्यू ख़त्म नही हो सकती इन गलतफहमीयो की ये रात हैं, थोडी कोशिश तुम करोगे थोडी कोशिश मैं करूंगी मगर क्यू ना ये कोशिश करे के दुबारा वही गलती नहीं होगी, अब डर सा लगता है की सब खत्म ना हो जाए एक दिन, अगर यही लिखा है तो दुआ करती हू के जल्द हो जाए ताकि मैं सिख जाऊ जिना तुम्हारे बिन ।