Nasir अहमद✍️  
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Joined 30 December 2019


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Joined 30 December 2019
7 OCT 2022 AT 23:33

शजर कट चुके है के टहनियों के फूल अब बागों में कभी खिल नहीं पाएंगे,
पहली दफा वो गले मिलकर बोला के तमाम ज़िंदगी अब हम कभी मिल नहीं पाएंगे!!

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12 JUN 2022 AT 18:50

वो शख्स बहुत रोया उम्र कैद के फ़रमान पे
ताउम्र पिंजरे के कारखाने में हुक्मरान था जो!

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1 JUN 2022 AT 21:52

वक्त और वादे को वो हर वक्त फ़जूल कहता है,
इरादा हो या गैर इरादतन ही हर वक्त मशगूल रहता है,

ना है वक्त पर दोस्ती ना ही दोस्ती में वक्त है उसकी,
पर फिर भी वो खुदगर्ज मुझे अपना दोस्त कहता है!!

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31 MAY 2022 AT 21:11

इल्म नहीं है उस शख्स को अपनी आंखो में दबे खज़ाने का,
बेपरवाह ही खर्च करता रहा वो लेकर नाम उस बेगाने का,

नही है वक्त उस बेवफ़ा को अपना हाल तक बताने का,
और कोई देख रहा है इंतजार उसके ख्वाबगाह में आने का,

खुश हैं वो किसी ओर की बाहों में सुकून के लम्हे बिताकर,
और कोई लिए बैठा है इरादा उसे पाकर गनी हो जाने का!!

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29 MAY 2022 AT 22:45

वो मेरे अल्फाजों पर दाद भी कमाल देता हैं,
खुशी लेकर मेरी सारी वो मुझे मलाल देता हैं,

कभी महफ़िल में मेरे इश्क़ की मिसाल देता हैं,
कभी भरकर आंसुओ को हथेली पर उछाल देता हैं,

कभी खुशियों के आंसू वो आंखो से निकाल देता है,
कभी आंखो के समंदर में गमों की कश्तियाँ डाल देता है,

कभी मोहब्बत भरी शाम को इक नया ख्याल देता है,
कभी नफ़रत और प्यार के मुग़ालते को नया सवाल देता है,

कभी रखता है मुझे दिल में वो किसी मकानदार की तरह,
कभी किरायेदार की तरह मुझे वो युही निकाल देता है!!

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6 FEB 2022 AT 15:59

इत्मीनान से ईमान की चादर में खुद को महफूज़ रखिए,
फिरदौस में होगा आला मुकाम बस आप अपनी सफ़ें दुरूस्त रखिए!— % &

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28 AUG 2021 AT 11:19

ये भी अदा है उसके अदावत के मिजाज़ की
जन्मदिन कल था और बात उसने आज की!

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19 AUG 2021 AT 22:52

उस ऊंचे महंगे किरदार को मैं निभा नही पा रहा हूं,
नुमाइश में नही मौजूद जो चीज़ फकत उसी को चाह रहा हूं,

हुजरे में छुप के बैठा है जो तेज नमक का व्यापारी,
कमख्त उसी को मैं अपने ताजे जख्म दिखा रहा हूं!

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21 JUN 2021 AT 0:18

वही सूरज जब डूब कर तेरी आंखों में झांकता है,
वो तुझमें मेरे जिन्दा होने के एहसास को मापता है,

उससे मुलाकात का बस वही हिस्सा मेरा पसंदीदा है,
जब थामता है वो हाथ मेरा और उसके होठों का हिस्सा कांपता है,

क्यूं उसी को इंतजार रहता हैं मेरे ही लिखे अल्फाजों का,
आखिर क्यूं उस अजनबी का मेरी शायरी से राब्ता है!

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29 MAR 2021 AT 19:35

मेरा दावा था कि वो मुझ सी मोहब्बत कभी कर नही सकता,
मेरे दावे का ख्याल करते हुए उसने खुद सी बेवफाई कर दी!

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