Nasim Aalam   (नसीम आलम)
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Software Developer, Little Poet
Joined 3 May 2019


Software Developer, Little Poet
Joined 3 May 2019
20 APR AT 18:58

हाँ, हूँ मैं बच्चों सा,
बात-बात पे जिद करता हूँ, बात-बात पे इमोशनल हो जाता हूँ।
कोई ख्वाहिश पूरी ना हो तो उदास हो जाता हूँ।
मूवी का इमोशनल सीन देख के आँखों में आंसू आ जाते हैं।
ज्यादा सोचता हूँ। बात-बात पे शक करता हूँ।
रात में नींद नहीं आती। अकेलेपन महसूस होता है।
हाँ, मुझे प्यार चाहिए वो भी बच्चों वाला।
मुझे तुम्हारा गोद चाहिए सिर रखने के लिए।
मुझे हग चाहिए सारा इमोशन्स कंट्रोल करने के लिए।
हाँ, मैं तुमसे नाराज हो जाता हूँ, लेकिन ये भी नहीं की बात नहीं करना चाहता हूँ।
कभी तुमसे बताया नहीं लेकिन हा सच है कि तुम्हारे लिए रो देता हूँ।
गुस्सा तो बहुत है, तुम्हें गुस्से में डांटना चाहता हूँ।
तुम पर चीखना चाहता हूँ।
चिल्लाना चाहता हूँ ।

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19 APR AT 19:11

According to the priority in her way...

The pronoun I should be third person...

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29 MAR AT 8:40

शक भी यार तुम्ही पे है,
प्यार भी पर तुम्ही से है।
तू चाहे बरस जा यार
तू चाहे तो सूखा कर
मैं तू हूं बंजर सा धरती
उम्मीद भी यार तुम्ही से है।
ये फूल वोल ,ये गुलशन वुलशन
ये नदिया,ये झरना ,खुशबू
सब कुछ, तुझसे मिलता जुलता
सुकून तो यार तुम्ही से है।

तू कहे तो तेरा हो जाऊं,
तू कहे तो सर के बल भी चलूं।
तू चाहे तो बन जा सागर सा,
नदियों से तुझसे हर पल मैं मिलु।
तू कहे तो सूरज से आंख मिलाऊं,
तू कहे तो चंद्र सा शीतल बन जाऊं।
तुम तो हो जी सांस मेरी
धड़कन भी यार तुम्ही से है।

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29 MAR AT 8:06

तेरी खुश में खुश हूं,तेरी रजा में राजी,
तू चाहे तो हार जाऊं जीती हुई बाजी।

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16 MAR AT 16:53

इश्क है थोड़ा पर लगाव ज्यादा है,
भरेगा देर से ये घाव ज्यादा है।

कैसे न जीतता बाजी वफा की वो,
दिल्लगी है कम पर दाव ज्यादा है।

कोई रह गया कोई बह गया सैलाब ए इश्क में,
ठहराव है कही कही बहाव जायदा है।

होती नहीं नसीब सबको इश्क की मंजिले,
सब बेअदब से रास्ते पड़ाव ज्यादा है।

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16 MAR AT 5:06

जो मिला है उसको समेट लूं
जो नहीं मिला तो मलाल क्या।
मेरी अपनो ने जब सुना नहीं,
मुझे अजनबी से सवाल क्या।

मेरी उलझनों को दूर कर,
यूं ना सनम मजबूर कर,
मेरा नाम रख दे आईना,
तुझे चाहता हूं टूटकर।

मैं खुद ही खुद में तबाह हूं
मैं दर्द की एक आह हूं।
कोई यहां रुकता नहीं,
मैं ताड़ की पनाह हूं।

कर रही है खुद से जुदा
ये हसरते ये आरजू,
मुझे खुद ही खुद की खबर नहीं
मुझे दुसरो का ख्याल क्या।

हो जाऊंगा बदनाम मैं
ओढ़कर तेरा नाम मैं,
मिट जायेगा ये गुबार भी,
ये बुलंदिया ये जमाल क्या।

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16 MAR AT 4:26

दिल को मेरे चैन क्यूं की पड़ता नहीं
तू भी मुझे खोने से क्यूं डरता नहीं।

तकलीफ है क्या दिल में मैं समझाऊं क्या,
बिन कहे तू जान क्यूं लेता नहीं।

लगता है किसी रोज मैं मर जाऊंगा,
लगता है मेरी जान क्यूं मरता नहीं।

वो कहता है कि मैं खुश हूं तेरे बगैर,
मेरा दिल है कि देखकर भरता नहीं।

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15 MAR AT 8:44

जैसा सोचते हो वैसा नहीं होगा
हर शख्स यहां आइना नहीं होगा।
कुछ मिलेंगे लोग यहां पत्थर दिल भी,
हर किसी में ये चेहरा नहीं होगा।
कोई होगा यहां आहत तेरी छोटी सी बात पे,
हर किसी से यहां राब्ता नहीं होगा।
कोई पा लेगा मंजिल पगडंडियों पे चल के,
किसी के लिए कोई रास्ता नहीं होगा।
ये क्या हाल अपनी बनाए रखे हो "नसीम",
उसी शख्स में तो दुनिया नहीं होगा।

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15 MAR AT 8:31

ना जमीन,ना आसमान में रखता मैं,
तुझे तो हिफ्जो अमान में रखता मैं।

ये शक ये चाहत ये गुस्सा सब तेरे लिए,
कफस में नहीं अरमान में रखता मैं।

बस इस बात की चिंता खाए जा रही है,
तू नही तो किसे दरमायन में रखता मैं।

ये अलग बात है की तू नाराज है मुझसे,
तुझे हर वक्त अपने ध्यान में रखता मैं।

तुझको लगता है की तुझको बर्बाद किया है,
ये होता तो खुद को हैवान में रखता मैं।

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28 FEB AT 22:48

जब धूल का गुबार हटेगा
तो तुम देखोगे
मैं तुम्हारे लिए लड़ा था

जब बारिश थमेगी
तो तुम देखोगे
मैं तुम्हारे लिए रोया था

जब कोहरा छटेगा
तो तुम देखोगे मैं तुम्हारे इंतज़ार
में खड़ा था

जब आग बुझेगी
तो तुम देखोगे
मैं तुम्हारे लिए जलकर भस्म हुआ था

जब बहारें लौटेंगी
तो तुम देखना
मैं तुम्हारे लिए फूल बन जाऊंगा।

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