Narsingh Mishra   (NARSINGH NARAYAN Mishra)
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Joined 25 August 2018


Joined 25 August 2018
9 OCT 2020 AT 7:58

Time is not as strong as we would have made it. •• It is our habit to kneel, so do not make any effort.

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24 AUG 2020 AT 11:26

आखिर ऐसी ज़िद क्यु?
यही ठहर कर कुछ पल और ,
तुम करो आंकलन अपने जीवन का ,
अभी तलक क्या खोया क्या तुमने,
और नया क्या पाने की अभिलाषा है।
तन्हा रहकर भी कोई जीवन हो सकता है क्या?
तुम कस्तूरी मृग हो बस ,
जो है तुम्हारे पास, उसे ही तलाश रहे ,
सच बतलाना तुम कब खुद से मिले हो।
अभी समय है पास तुम्हारे,
मुङ लो वापस तुम,
शायद कुछ बचा हुआ है,
जिसे शायद तुम अभी तक नहीं मिले हो ।

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17 AUG 2020 AT 12:00

मुश्किलें कुछ इस तरह हल हुई है तेरे आने से ,
जैसे प्यास की सिद्दत मे बारिश का होना ।
मेरी आखों को भी मिली है भरपूर नींद,
जब से तेरे आगोश मे मिली है रहने की इजाजत।।

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2 AUG 2020 AT 9:16

घबराना नहीं ,
मै तुम्हारे साथ हूँ हर पल ,
हो सकता है मै स्थूल मे न रहूं तब भी ,
तुम्हारी हर तकलीफ मे शामिल रहूंगा।
मैने मित्रता ही नहीं कि है दोस्त,
जिया मैने दोस्ती को ,
तुम हर पल खुश रहो बस -
यही लक्ष्य है मेरा ,
मै कृष्ण तो नहीं बन सकता,
पर जब भी तुम आवाज दोगे,
मै उससे भी ज्यादा तुम्हे लगूंगा।
मुझे खुद को किसी यकीं मे नहीं तौलना,
मै तो खुद को भरोसा मानता हूँ।

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31 JUL 2020 AT 11:02

अब किस काम की है ,
जब जरूरत थी इसकी ,
तुमने तब इसे बे लगाम कर रख्खा था,
अब खमोशिया खुद तेरी दीवानागार है ,
बस एक पल तो दिया होता तुमने।
ठहर कर सोचने को ,
मगर तुमने अब चुना है खमोशियो को ,
जब बर्दाश्त की हद गुजर गई ,
एक ठहर थी तेरी चाह की ,
चाहती थी तुम सुनो ।
पर तुम्हे बस परवाह थी अपने दम्भ की ,
अब करोगे किसको रूसवा,
खमोशियो की बरसात मे ,
जब खङा था कोई कुछ कहने की ताक मे,
तुमने उसे बहा दिया झूठी अपनी शान मे ,

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29 JUL 2020 AT 16:09

अगर तुम पाने की थोङी कोशिश करों,
आशाये विशाल व्योम सी है ,
बस तुम किसी एक का चयन करों ,
अभी बहुत कुछ है जो -
अनछुआ है पङा ,
तुम बस एक बार कुछ नया तो करो ।
यूँ समझ कर चलो कि ,
अभी तुमने कुछ किया नहीं,
एक शपथ लो पर किसी और की नहीं,
बस अपने आप की,
फिर खुद के अस्तित्व के लिये लङो।
तुम जानती हो सरल नहीं-
आकाश तक पहुंचना,
पर एक बार कुछ कदम तो चलो।
चाह के पांव में बांध दो,
बस एक पंख उङान का,

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27 JUL 2020 AT 13:32

कभी सूकून नहीं दे पाई ,
मै आ तो गया पत्थरों के इस कानन मे,
पर पांवों को कभी फिर दूब न छू पायी ,
उन कच्चे मकानों में कभी गर्मियां,
दाखिल नहीं हुई।
और सर्द राते भी बस गुदगुदी भर थी ,
खपङेले कभी नहीं तिरकी,
मैने आंधियो की खूब कोशिशें देखी है ।
यहाँ मशीनें मौसम बदलती है -
सिर्फ उनका जिनके पास है सिक्के का बल है,
और गांव मे मौसम हर किसी के घर आ धमकता,
चाहे कोई भी हो ।

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27 JUL 2020 AT 13:19

हमे करना क्या है ,
जिन्दगी को मुक्कमल न सही-
इतना तो जी ,
लगे जिन्दगी जी तूने,
फख्त एक सोच है तेरी की-
तू क्या करे की सूकून आये।
कभी आगाज करने के हौसले को -
तूने आजमाया है ,
नहीं न,
फिर कैसे होगा तू रूबरू जीत के।
मुश्किल और आसान हमी तय करते है,
फर्क बस सोच का है ,
तुमसे तिनका नहीं उठता,
और चींटी पत्थर उठा लेती हैं-
खुद से दुगना।

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24 JUL 2020 AT 12:14

तुम मेरी नाजायज़ पर भी -
हाँ की मोहर लगा दो ,
मै कुछ भी करू तुम्हे हाँ भरना ,
मै इंसान हूँ ,
मेरे सीने मे भी एक धङकता दिल है ।
मै भी महसूस की परिभाषा से परिचित हूँ,
फिर कैसे मै तुम्हे बिखेर दूंगा,
तुम्हारी डोर से ही बंधा हूँ मै भी ,
फिर कैसे तुम्हे मिटा दूंगा।
तुम्हे रख ही मै खुद को आगाज करता हूँ,
फिर कैसे खुद की हार पर दस्तखत कर दूंगा।
मै मुक्कमल हूँ इसकी वजह तुम हो ,
ये सही नहीं कि तुम मुझ पर सुब्ह कर दो ।

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24 JUL 2020 AT 9:09

Happiness & life,
Both are related to-
A mathematical formula,
When reflection increased,
Life increased .
Darkness was never part of moon,
When it plays hide& seek.
Darkness take place .
A drop of grief appeared,
It not stays long .
Again moon peep at the end of-
Darkness,

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