Narpat Rajpurohit   (मुसाफिर)
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जिंदगी में कुछ कर चल बसे तो एक पैगाम होगा,
वरना खुद से ही हर एक रोज संग्राम होगा,,
Joined 9 January 2019


जिंदगी में कुछ कर चल बसे तो एक पैगाम होगा,
वरना खुद से ही हर एक रोज संग्राम होगा,,
Joined 9 January 2019
10 FEB 2022 AT 9:28

दुनिया को हकीकत मेरी,
पता कुछ भी नहीं,
इल्जाम हजारों हैं,
पर खता कुछ भी नहीं,,

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6 FEB 2022 AT 9:33

कभी कभी मिलते ही बिछड़ जाते हैं रूहों वाले मेल,
हर बार इश्क मुलाकातों और स्पर्श वाला कहा होता,,

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16 JUN 2021 AT 9:53

ख्वाइशे पूरी कहां होती इंसानों की इस जहां में,
मरने के बाद भी जन्नत की उम्मीद जिंदा रखते है जेहन में,

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15 JUN 2021 AT 10:18

चेहरे की हंसी से किसी का ना लगाए, हालात ए अंदाज,,
हो सके तो पढ़ लीजिएगा उनका बदल ए मिजाज,,
गुत्थी सुलझ जाए, इतना जरूरी कहा,,
महसूस जरूर होगी उनकी रूह की आवाज,,

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2 JUN 2021 AT 6:23

ऐ- मेरी ज़िंदगी के साझेदार,
आतप में छाया से भागीदार,
दुख सुख का तू है मिलनसार,
तू अर्जित, घनिष्ठ रिश्तेदार,
अब तक का तुझे बड़ा आभार,
आगामी सफर भी मांगू उधार,
ऐ-परछाई से हमनवा,
तुझे सालगिरह मुबारकबाद,,

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13 MAR 2021 AT 14:49

चाहे कम ही दी हो रिक्तता,
ये जगह भी काफी है,,
सफर-ए-मुसाफिर को,
चंद विराम ही काफी है,,
श्रेष्ठ, अधम, हर्ष, शोभ,
जीवन के मेरे भूषण है,,
वृत्ति ए जीवन लेखन को,
कुछ कालखंड अभी अधूरे है,,
हे विप्र टुकड़ों में जो जी पाते हैं,
लफ़्ज़ों में वो लिख पाते है,,

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1 MAR 2021 AT 19:57

तपिश ए जलन को आजमाइश समझिएगा,
बस यहीं तो बतलाता है, बेसुध ए मेल,,

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13 FEB 2021 AT 20:22

सच और झूठ से परे हो ज़िंदगी,
किसी अनसुलझे ख्वाबों की तरह हो बंदगी,
क्या विष अपयश, क्या सोम यश,
क्या काटों का अतीत, क्या गुलशन सा कल,
बस तासीर को समझें, तासीर हरपल,,

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21 SEP 2020 AT 23:50

जाया ना कर अपने अल्फ़ाज़ हर किसी के लिए,
बस खामोश होकर देख तुझे समझता कौन हैं,,

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14 SEP 2020 AT 15:25

बिखरे-बिखरे से जज्बात मेरे, आज ठीक नहीं हालात मेरे,,
यादों में फिर से डूबा हूं, खुद से ही आज मैं रूठा हूं,,
मन मौन मेरा निर्बल सी काया, कुछ पता नहीं ये कैसा छाया,,
जरा टटोल तो सही ख्यालात मेरे, आज ठीक नहीं हालात मेरे,,

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