Naresh Saxena   (Naresh Saxena)
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Joined 28 December 2016


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Joined 28 December 2016
12 JUN AT 7:09

और कितना कर्ज़ बाकी हैं अभी,
और कितना याद करना हैं तुम्हें।

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7 JUN AT 17:19

मैं,
वक़्त नहीं,
वृक्ष हूँ,
देखो,
अब भी वहीं,
ठहरा हूँ ।।

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5 JUN AT 7:39

तुम,
आत्मा की सदृश हो,
तुम मुझे दिखाई नहीं देती,
लेकिन मेरे भीतर, कहीं हो।
मुझे निरंतर,
तुम्हारे अस्तित्व का बोध रहता हैं।

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31 MAY AT 20:37

प्रेम...
अपितु वासना?
शब्द से क्यूँ बाँधना,
मेरी भावना,
इतनी समझ तो तुम में बाकी हैं,
अब जो भी हैं, तुमसे ही हैं,
औऱ मेरे लिए इतना ही काफी हैं।

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26 MAY AT 8:19

तुम्हारी विरह,
मुझे,
जला कर कोयला कर दे,
या तपा कर कुंदन,
मैं,
तुम्हें वैसा नहीं मिलूँगा,
जैसा तुम छोड़ गई थी।

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30 APR AT 17:09

मेरे लिए,
तुम ,
और तुमहारे शब्द,
कभी चाहत,
कभी राहत,
कभी आहत।।

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20 APR AT 19:04

"From the core of your heart to the pores of your skin,
I wander deep, where the lost me has always been."

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28 FEB AT 20:55

कोई जादू तो जरूर किया होगा उसने,
इतना याद मुझे कभी कोई आया नहीं।

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27 FEB AT 8:27

जब हम प्रेम में थे तो वो व्यहवारिक या सांसारिक लगता था, अब जब तुम जा चुकी हो तो प्रेम काल्पनिक या आध्यात्मिक लगता हैं।

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15 FEB AT 21:52

Of all the crap that I had ever read on internet, the only one I wish were true is a so called psychology fact, " if you miss someone it means that they are thinking of you".
Happy Valentine's Day.

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