Naresh Saxena   (Naresh Saxena)
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Joined 28 December 2016


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Joined 28 December 2016
14 SEP AT 15:05

If I am blocked,
It is not always hate,
Sometimes I am too cherished,
A shadow too bright to face.

Forgotten I must be,
Not for lack of love,
But for love too fierce,
That burns the heart enough.

Written with help of CHATGPT

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4 SEP AT 19:48

तुम,
वक़्त सी,
बदल गईं,

मैं,
वक़्त सा,
कट रहा हूँ।

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29 AUG AT 20:26

अच्छा सबक थी तुम,
मुझे अब तक याद हो।

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24 AUG AT 21:13

तुम,
होंगी जान किसी की,
मेरे लिये अब,
ठूंठ हो पेड़ का,
मेरे हृदय की बंजर ज़मीन में,
गड़ी हुई,
जीवित,
किन्तु संवेदना रहित,
भाव शून्य,
मृत प्रायः।।

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24 AUG AT 9:18

मन,
कबूतर की तरह ढीठ हैं,
बार बार उड़ाओ,
वहीं आ बैठता हैं,
कितने घोंसले तोड़ो,
फिर बनाने लगता हैं,
मेरा मन भी,
तुम्हारे लिये,
ढीठ कबूतर हो रखा हैं।

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16 AUG AT 8:32

सबके,
अपने युद्ध,
सब,
स्वयं में,
योद्धा,
लड़ते रहिये।

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10 AUG AT 20:24

घर हैं,
यह मेरा,
मुझे,
लौट कर,
आना ही,
होता हैं।

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10 AUG AT 9:01

नई जूतियां,
सब,
तंग हैं,
काटती बहुत हैं,
तुम,
अच्छी थी।।

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30 JUL AT 20:23

कभी कभी,
मन करता हैं,
तुम्हारी उपेक्षा,
और मेरे आत्म सम्मान,
दोनो की परवाह नहीं करते हुए,
तुम्हें एक मेसैज,
भेज ही दिया जाये।।

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8 JUL AT 18:50

मृत्यु,
शोक हैं,
अब इस पृथ्वी पर,
तुमसे मिलना ना होगा,

मृत्यु,
आंनद हैं,
पुनर्जन्म लेकर,
तुमसे फिर से ,
मिलने की संभावना हैं।।

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