कभी कभी,
मन करता हैं,
तुम्हारी उपेक्षा,
और मेरे आत्म सम्मान,
दोनो की परवाह नहीं करते हुए,
तुम्हें एक मेसैज,
भेज ही दिया जाये।।-
30 JUL AT 20:23
8 JUL AT 18:50
मृत्यु,
शोक हैं,
अब इस पृथ्वी पर,
तुमसे मिलना ना होगा,
मृत्यु,
आंनद हैं,
पुनर्जन्म लेकर,
तुमसे फिर से ,
मिलने की संभावना हैं।।-
24 JUN AT 7:41
सूदख़ोर....
ऐसा कितना प्रेम दिया उधार?
ये चुकता क्यों नहीं।
यादों की और कितनी किश्तें,
बाकी हैं अभी?
मैं खाली हो गया हूँ,
बस करो, अब और नहीं।।-
22 JUN AT 3:18
मुझे बाँध कर, ख़ुद उन्मुक्त रहने की चाह,
खरीदने बेचने के तराज़ू अलग अलग, वाह।-
5 JUN AT 7:39
तुम,
आत्मा की सदृश हो,
तुम मुझे दिखाई नहीं देती,
लेकिन मेरे भीतर, कहीं हो।
मुझे निरंतर,
तुम्हारे अस्तित्व का बोध रहता हैं।-
31 MAY AT 20:37
प्रेम...
अपितु वासना?
शब्द से क्यूँ बाँधना,
मेरी भावना,
इतनी समझ तो तुम में बाकी हैं,
अब जो भी हैं, तुमसे ही हैं,
औऱ मेरे लिए इतना ही काफी हैं।-