तीन महीने लॉकडाउन रहा
प्रकृति शुद्ध हो गई
वैसे ही दो साल फिल्मे देखना बंद करो
संस्कृति शुद्ध हो जाएगी-
आग तो आग है
चाहे हृदय की आग हो
या पेट की आग हो
बस अंतर इतना है कि
हृदय के आग
पेट की आग को
अमन से नहीं रहने देता है।
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रुठी है कश्ती दरिया से
तुम किनारे का पता पूँछते हो
इतनी चिंगारी है दिलों के समन्दर में
कि वो बाहर निकलने को बेक़रार है
तुम है जो की वजह पूँछते हो
थी उल्फ़त तुम्हारी साथ निभाने की
सजा क्यों मिली तुम कुसूर पूँछते हो
जरूरत है जवाबों की
पर ये सवाल तुम भी
औरों की तरह ही बेवज़ह पूँछते हो।-
गंगोत्री से आविर्भाव होने वाली
भगीरथी में जाकर सारे पाप
धो लेता हूँ
अग्नि का खेल खेलने वाले
ये नहीं जानते कि जल की
आग से शत्रुता है
पावक कितनी ही भीषण
क्यों ना हो
उसकी लपटों की आयु अल्प है
और जाह्नवी के स्वच्छ नीर को
आज भी बहना है और कल भी बहना है
वह धरा पर स्वयं की धारा को
बचाये रखने लिए
निरंतर द्वंद करने को तैयार है
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मैं वो गाँव हूँ जहाँ मेरी वेदना
सिर्फ हलधर ही समझता है
जहाँ अक्सर हलधर खेतों में
सदा नव्य फसल की
निरंतर तैयारी में व्यस्त रहता है
ख़ुद का पेट भरने के साथ ही
वो देश के हिस्सों का भी पेट भरने का काम करता है
इसके अलावा कोई ऐसा रोजगार नहीं है
जिसमे अपने साथ देश का पेट भर सके है
मैं वो गाँव जहाँ अक्सर
पड़ोसी एक-दूसरे की आश्वासन देते दिख जाते हैं
जिनकी शादी में वे प्रेम को
अमरत्व इतना बारिश करना बेहतर समझता है
वो मनुष्यों से कहना चाहता है कि
मैं सेवक बनूँ और अपनी रोशनी सब तक फैला दूँ
उनलोगों पर जो मुझे सिर्फ सेवा करना जानता है
गाँव के लोग धरती के प्रेम में डूबा दर्द को
महाकाव्य बनाकर शहर तक बिखेरना जानता है
अर्थशास्त्र में यह द्वितीयक और तृतीयक का मुख्य स्रोत है
ये सब कहने को है
पर किताब के पन्नों में ही अच्छा लगता है
ना इनके लिए कोई आशा ना कोई उम्मीद है-
आयुर्वेद के लिए हल्दी औषधि है
प्राकृतिक के लिए वनस्पति है
इसकी कोई परिधि नहीं है
रसायन शास्त्र में अम्ल और
भस्म के लिए सूचक है
कृषकों के लिए फसल है
कृषि मैदान के लिए पौधा है
बच्चों के लिए पीला रंग है
स्त्रियों के लिए
पाकशाला में मसाला है
एक पिता के लिए सिर्फ
अपनी पुत्री का हाथ
किसी और के हाथ में सौंपना है
इस वक्त के लिए वे ख़ुद को
प्राण का बाजी भी लगा लेते है
जहाँ उसे अपनी पुत्री का खुशी
अनुभव कर सके
वो इस किरदार में हल्दी के तरह
छोटी-छोटी खुशी जाहिर कर
पुत्री को हर पल में आह्लाद देखना चाहते है।
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तालीम इंसानों को दी जाती है
जानवरों को नहीं
फिर भी इंसान धीरे-धीरे
हिंसक हो जाता है
जानवरों से भी ज्यादा
क्योंकि इंसानों ने
हिंसक बनने की ही तालीम पायी है
निरीह होना इंसान के बस में नहीं।-
एक मित्र ने
दूसरे मित्र से कहा
हम दोनों के मध्य
प्रेम कितना गहरा है
दूसरे ने उत्तर दिया
कि मुझमें तुम और
तुम में मैं , इतना।
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रोये तो कैसे रोये
टपक रहे ख़त पर आँसू
दिल मदहोश है
टपक रहे ख़त पर आँसू
कलम खामोश है-
तनाव और चिंता के
सारे तटबंध जहाँ टूट जाते हैं
उस उलझनों की सुलझनों वाली
जंजीर का नाम है दोस्ती
पहुँचना तो कहीं और है
जाना भी कहीं और है
सभी को
पर इस भागदौड़ की जिंदगी में
अक्सर देखूँगा मैं तुम्हें
कोशिश करूँगा मैं
तुम्हें भी ले जाने की
ऐ दोस्त अगर साथ दोगे तो
तेरी-मेरी दोस्ती को
इस कायनात के भूमंडल पर
सदा के लिए हस्ताक्षर कर दूँ
मन ऐसा चाहता है कि
चूम लूँ दुःखों को
सभी दोस्तों के जिंदगी से
देख ना पाऊँ दुःख
इक पल भी किसी के चेहरे पर
चाहत हो ऐसी दुनिया मेरी
जहाँ दिखे हर एक की आँखों में खुशी
रोये तो गम रोये
क्यों रोये ये दो पल के बंजारे
यही तमन्ना और आरजू है हमारी ।-