मैं किस ख्वाब में हूंँ कि वह मुझसे मिलने आएगा साल गुजरने को है वो अब नहीं आएगा
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तुम्हें कुछ याद नहीं आता या अंजान होने का नाटक करती हो ,
अब तुम बात इसलिए नहीं करती हमसे कोई गलती हुई या तुम भी गिरगिट की तरह रंग बदलती हो ।-
एक दिन उस बेवफा पर लिखी कुछ ऐसी शायरी
मंजर कुछ ऐसा है,
रोज पढ़ता रहता हूं और भर्ती रहती है मेरी डायरी।-
मैं उसकी तलाश में
और वो
किसी और की तलाश में मिलने को झुमा करती थी।-
पापा की डांट के बाद मुझे प्यार करना,
और मां का मुझे पीटते वक्त खुद रोना ।
वो बचपन की यादे आज भी महसूस करता हूं,
अकेले ही अकेले खूब रोता हूं ।-
तेरे साथ बिताए कुछ पल बहुत याद आएंगे,
इन पलों में थोड़ी नोक-झोंक थी लेकिन ज़िन्दगी भर सताएंगे।।-
मैंने पल भर में लोगों को टूटते हुए देखा है,
मैंने लोगों को अपनों से ही धोखा खाते हुए देखा है।-
मैंने मोहब्बत में लोगों को अपनों से दूर होते देखा है,
ब्रेकअप होने पर पहली बार शराब पीते देखा है।-
आंखें खुली हुई थी और सपना देख रहा था।
बिताए कुछ पल उनको हकीकत समझ बैठा था।
सच बताऊं तो में धोखा खाए बैठा था।-
ज़िन्दगी के हर एक मोड़ पर कंधो पर बोझ है।
बचपन में स्कूल के बस्तो का
और अब घर की जिम्मेदारियों का।।-