तेरे इश्क मे जाना
हम मशहूर नहीं मुकम्मल होना चाहतें हैं ।-
ज़रा सा तुम मुस्कुरा देना
ज़रा सा दिखा हिंम्मत हम भीं देगें
सुनों,
हाथ तुम थाम लेंना
निभा हम भीं देगें।
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लिखा तों मैनें तुम्हें पुरा था
न जानें चाहत में कहा मेरे कमीं रह गईं
ज़िन्दगी अब तु हीं बता
हमारी कहानी क्यों अधुरी रह गईं
शुरूआत तों साथ हीं कीं थीं
मंज़िल भीं तों एक हीं थीं
न जानें कब हमारी राह बदल गईं
ज़िन्दगी अब तु हीं बता
हमारी कहानी क्यों अधुरी रह गईं
दुआओं कें अल्फाज़ में मेरे
न जानें किस हर्फ़ कीं कमीं रह गईं
ज़िन्दगी अब तु हीं बता
हमारी कहानीं क्यों अधुरी रह गईं
कहानी तों हमारीं एक हीं होनीं थीं
न जानें कब तेंरी औंर मेरीं हों गईं
ज़िन्दगी अब तु हीं बता
हमारीं कहानीं क्यों अधुरी रह गईं ।
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तुमसे मिलना तों सावन का था
न जानें क्यों जुदाई की बरसात हों गईं
हाथ ऐसे छुटा जैसे कोई पूनम की रात अमावस्या की रात हों गईं।-
जिंदगी आ तुझे हम गले से लगाए
कुछ तुम अपनी सुनाओ, कुछ हम तुम्हें अपनी बताएं।-
शिक़ायत करें भी तो कैसे करें
उन्होंने तो हमें कभी अपना समझा हीं नहीं.-
तुम दिल में मेरे ना झांक सकें
गहराइयों को ना तुम आक सकें
कहते हों की मोहब्बत हैं तुम्हें मुझसे
पर मेरी वफ़ा को कभी तुम पहचान न सकें।-
लोग मोंहब्बत कों बदनाम करतें हैं,
यहां तो ज़िंदगी भीं बेवफ़ा निकलती हैं।
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