Nandram Aanand   (आनन्द)
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...कुछ भी नहीं .
Joined 9 April 2017


...कुछ भी नहीं .
Joined 9 April 2017
13 AUG 2017 AT 16:23

सत्य सदैव अश्लील होता है..

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13 AUG 2017 AT 16:17

तेरे अहसास की तितलियां मुझको छूती हैं बारहों ऐ मुहब्बत..
कभी लगता है कि तू है कि भरम तेरा...!

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13 AUG 2017 AT 15:50

आदमी शरीर खोजता फिर रहा है और औरत प्रेम को मरी जा रही है..और दुर्भाग्य यह है कि दोनों का ही अन्त 'रिक्तता' है...

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9 AUG 2017 AT 22:27

ज़ख़्म ही ज़ख़्म का मरहम होगा..
कोई 'बा' तो कोई 'बे' रहम होगा।।

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2 AUG 2017 AT 1:35

स्त्री और बिल्ली दोनों ही ख़ूबसूरत होती हैं!

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2 AUG 2017 AT 1:28

ज़िन्दगी और आराम नगर में एक समानता ये है कि दोनों ही समझ में नहीं आते!

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19 JUL 2017 AT 11:30

आत्मा प्लास्टिक की भाँति होती है..कभी ख़तम नहीं होती अर्थात् उसका बस रुपान्तरण होता है।

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18 JUL 2017 AT 13:59

मनुष्य जन्म से ही विद्रोही होता है बस उसकी शादी हो जाती है!

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18 JUL 2017 AT 13:50

..मियाँ!वक़्त टमाटर को भी अर्श पर पहुँचा देता है...हम तो फिर भी आदमी हैं!

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11 JUL 2017 AT 16:33

....अक़्लमंद औरत और बुद्धिमान आदमी ....दोनों ही अकेले होते हैं....

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