Nandita Shukla   (माकिफ़ा)
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Mein kisi kaatib ki vo khuli kitaab hu...
Jo koi pdh Ni skta...
Mein MAKIFA hu...
Joined 19 February 2019


Mein kisi kaatib ki vo khuli kitaab hu...
Jo koi pdh Ni skta...
Mein MAKIFA hu...
Joined 19 February 2019
28 APR 2022 AT 23:08

हम चाँद से बातें किया करते हैं...
तुम्हारे बगैर, हम अक्सर अंधेरों में आया जाया करते हैं…
मोहब्बत कितनी है, इसके फ़साने बनाया करते हैं…
पर तुम्हारे सामने आते खुद को बेलफ्ज़ पाया करते हैं…
हम चाँद से बातें किया करते हैं…

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26 APR 2022 AT 23:39

आज वो फिर हमसे नज़रें चुरा कर ग़ुम हो गये..
आज एक दफ़ा और वो हमारे सवालात से मुक़र गए…
कितनी मासूमियत से वो हमारे ज़हन में उतर गए…
आज वो फिर से एक झूठ कह कर चले गए…

शिकायत हमें उनसे नहीं…
शिकवा तो खुद से भी नहीं…
दर्द…तो कोई नहीं..
पर सच पूछो तो ख़ुशी की भी कोई वजह नहीं…
वो फिर बड़ी मोहब्बत से हमारे ज़ख़्मों को नया कर गये…

आज एक दफ़ा और वो हमसे नज़रें चुरा कर ग़ुम हो गये…

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24 APR 2022 AT 14:35

उन्होंने हमसे कहा के नहीं समझोगे ये दर्द क्या है...
कभी गुज़रे होते इन वादियों से तो जानते यहाँ हर कोई तन्हा है...
नुमाइश में लगा हर दिल नीलाम होने को नहीं...
यहाँ ख्वाब टूटे तो है...पर अंधेरों का चराग़ कोई नहीं...
उन्होंने हमसे कहा के तुम समझोगे नहीं...

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22 SEP 2020 AT 9:27

वो ख़ता वक़्त की थी..
ज़ख्म वो हमारा था..
वो रुसवाई तुम्हारी थी..
नज़राना वो हमारा था...

तुम जब थे..
नज़ारे रंगीन थे...
तुम अब नहीं हो..
तो ये मौसम ग़मगीन है...
वो शरारत लम्हो की थी..
वो रूकावट सारा ज़माना था...
वो सुकून तुम्हारी आवाज़ थी..
वो बेचैनी हमारा दर्द पुराना था...
वो ख़ता वक़्त की थी..
ज़ख्म जो हमारा था...

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13 MAR 2020 AT 20:45

ख़ता इतनी थी की ख़ुदा तुम्हे कह बैठे,
इश्क़ करने चले थे इस दिल का सौदा कर बैठे...
क्या ख़ुब कीमत लगाई तुमने इस साथ की,
हम ज़माने के कर्ज़दार बन बैठे...
ख़ता बस इतनी थी...
की तुम्हे ख़ुदा कह बैठे..

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13 NOV 2019 AT 1:15

तुम्हे कभी हमसे मोहब्बत थी ही नहीं..
वो तो हमारा ख्वाब था जो हकीकत हुआ ही नही,
तुम्हारे इत्मीनान को इज़हार समझ बैठे,
इस दिल ए नादाँ को दर्द का अंदाज़ा हुआ ही नहीं...
तुम्हे हमसे मोहब्बत थी ही नही...

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22 SEP 2019 AT 23:31

फ़रेब थे वो फ़साने..
अनजान थे हम आशिक़ पुराने..
कैसे इल्म होता दग़ा दे रहे हो हमें,
सुना था नज़रे धोखा नही देती ...
तुम्हारे तो अश्क़ भी सभी बेईमानी थे..
फ़रेब थे वो फ़साने...

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18 SEP 2019 AT 22:48

एहसास है दिल में, कुछ खोने का..
जो कभी अपना था नहीं, उनसे जुदा होने का...
जज़्बातों की जंग में हैं, आज भी शिक़वा है हमें,
हाल-ऐ-दिल बयां ना कर पाने का...

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7 SEP 2019 AT 21:08

अपने आज और माज़ी को साथ लेकर चले हैं...
देखिये हम भी सौदा किये हुए हैं...
इश्क़ था कभी जिनसे आज उनको तबाह किये हुए हैं...
अपने आज से उनका तार्रुफ़ कराये हुए हैं..
हम ये भी जंग हारे हुए हैं...
अपने आज और माज़ी को साथ लेकर चले हैं...

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5 SEP 2019 AT 22:17

वफ़ा पर अब ऐतबार रहा नहीं,
तो जफ़ा की राह नूरानी थी...
तुम्हें कोई तक़लीफ़ ना मिले,
इस ख़ातिर हमें तो मात खानी ही थी...
यक़ीन मानो...
फ़रेब के लिबास में वो मेरी मोहब्बत ही थी...

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