कोई भी सही सलामत ना होता
अगर सरहद पर जवान ना होता-
▪︎ My poems gives reflections of the society..!!
बहुत कुछ है कहने को
पर किससे कहूं
मन में मेरे कई उलझने है
उन्हें बयां मैं कैसे करू
अकेले नहीं रहना मुझे
पर साथ किसके रहू
दूसरो के खातिर
हर वक्त खुद से समझौते मैं ही क्यूं करू
कुछ अधूरे ख्वाब है मेरे
उन्हें पूरा कैसे करू
दूसरो के वजह से
अपनी इच्छाओं का बलिदान मैं क्यूं करू
आखिर अपने मन की बाते
बस मैं खुद से ही क्यू करू-
वो भी क्या दिन थे
जब दादी का साथ था
हमारे सर पर उनका हाथ था
साथ मे जाते थे हम मंदिर तक
याद है उनकी सारी बाते अभी तक
नीन्द से उठाकर हमे खिलाती थी
अपनी गोद मे वो हमे सुलाती थी
हम सब में उनकी जान बसती थी
हमे खुश देखकर वो भी हंसती थी
हमारे आने की खबर सुनकर,
मिठाई बचाकर वो रखती थी
अपनी निगाहें वो दरवाजे पर ही टीकाए रखती थी
हमारी खुशियों के लिए वो हर कोशिश करती थी
दादी हमारी प्यार बहुत हमसे करती थी-
बिहारियों का गर्व है
छठ का पर्व
श्रद्धा और इश्वर पे विस्वाश का प्रतीक है
छठ का पर्व
जहा उगते हुए सूरज के साथ,
डूबते हुए सूरज की भी पूजा की जाए वो है
छठ का पर्व
जहा कुछ लोग नदी तक खुद को दंडित करते हुए जाए वो है
छठ का पर्व
निर्जला उप्वास करते हुए भी उत्साह के साथ जो पर्व मनाया जाए वो है
छठ का पर्व
जहा शीतलहर मे भी ठंडे पानी मे खरे होकर सूर्योदय की प्रतीक्षा की जाए
वो है छठ का पर्व
जहा छठी मईया से माँगने पर वो हर चीज़ मिल जाए
वो है छठ का पर्व
वो है छठ का पर्व-
आत्मनिर्भरता की शुरुआत हुई
पराधीनो को आघात हुई
भारत को खुद पर विश्वास हुआ
पड़ोसी मुल्क हताश हुआ
अब तक अपने कामों को दुसरो को सौप रहे थे
अपनी जिंदगी दूसरो के सहारे जी रहे थे
पर अब हमने भी ठाना है
खुद के साथ देश को भी आत्मनिर्भर बनाना है-
अरमान की तू दीवानी है
बनती हम सब की नानी हैं
हाइट है तेरी ऊटनी जैसी
दिखती है तू भूतनी जैसी
दोस्तों की पूरी करती हैं इच्छा
माँग माँग कर सबसे भिक्षा
अकल तो है नही इसमे
फिर भी नाम है इसका शिक्षा
तुझपे मुझे विश्वास है
हमारी दोस्ती बहुत खास है
तू हर काम में साथ देती है मेरा
ए दोस्त मेरे साथ रहने के लिए हर वक्त
बहुत बहुत शुक्रिया तेरा-
क्या लड़की होना पाप है?
क्या लड़की होना अभिसाप है??
माँ की कोख से ही लड़ती है लड़की समाज से,
तभी तो कभी कभी नफरत होने लगती है उसे अपने आप से।
बेटी को परी कहना ही क्यूं
जब उड़ने की आज़ादी ना हो,
बेटी को जन्म देना ही क्यूँ,
जब उसे जीने की अज़ादी ना हो।
बेटी हर ख्वहिशे छुपाती है अपने माँ-बाप से,
अपने मन की बाते करती है बस अपने आप से ।
क्या लड़की होना पाप है?
क्या लड़की होना अभिसाप है??-
बहुत कुछ है
तुमसे कहने को
शुरुआत कहा से करु
दिल मे मेरे क्या है
उसे शब्दो मे बयाँ मै कैसे करु-
कोई रहे ना रहे
तुम मेरे साथ हमेशा रहना
कोई मेरा साथ दे या ना दे
तुम मेरा साथ हमेशा देना
खो जाऊ अगर मै कभी
तुम मुझे ढूंड लेना
कुछ गलत बोल जाऊ अगर कभी
तो मुझे माफ कर देना
चाहे कुछ भी हो जाए
तुम हमेशा मेरे साथ ही रहना-