सालों से जो रिश्ता था
पल भर में तोड़ दिया
शीशे सा दिल था
पत्थर से तोड़ दिया-
जीवन मे कुछ थोड़ा सा लिखा है
सागर मे एक बूंद इतना भी नही लिखा है
सालों से जो रिश्ता था
पल भर में तोड़ दिया
शीशे सा दिल था
पत्थर से तोड़ दिया-
तो तुम मेरे प्यार को
धुएं के छल्ले में न उड़ाते
मेरे जीवन को यूं
दांव पर न लगाते
अगर कुछ हो भी जाए मुझे
तो तुम खुश रहना
यही दुआ करुंगी
क्योंकि मुझे फिक्र है तुम्हारी।
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मैंने शब्दों के जरिए
बस तुम पढ़ लेना
और नजरे इनायत रखना
कभी न बदलने के लिए-
जब तेरा नाम होगा
चांद लिखेगा ईबारत
रातों की स्याही से
आसमां के सीने पर।-
पत्थर के से हो गए हैं लोग
और कहते हैं
शीशे जैसा साफ है हमारा दिल-
कभी सुना था
बस उसी का है इंतजार
वह कब आएगा
और सब कुछ ठीक हो जाएगा
इसी के भरोसे
काट दिए इतने वर्ष
और हां नाउम्मीद नहीं हुई
एक आस अभी बाकी है
समय के साथ विश्वास की।
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