कहने को तो कहा बहुत है,
पर अब भी अनकहा कहना बाकी है,
थोड़ा और सहना बाकी है।
टूटते जुड़ते खुद को देख लिया है,
बस जख्मों को अनदेखा करना बाकी है,
थोड़ा और बेपरवाह होना बाकी है।
अरे छोड़ो,
बहुत सुन ली इधर उधर की बातें,
अब खुद से अनसुना होना बाकी है,
थोड़ा और तन्हा होना बाकी है।
अभी तो तेरे बगैर जीना ही सीखा है,
अभी औरों से गैर होना बाकी है,
थोड़ा और तड़पना बाकी है,
थोड़ा और तड़पना बाकी है।
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