किसी कागज की कश्ती बनाना...
उसे डूबने से बचाना; उतनाही मुश्किल है...
कितना आसान है...
कई बाते ना समझना...
किसी को समझ लेना; ही तो ज्यादा मुश्किल है...-
Nandini Hatkar
(✍नंदिनी हाटकर©)
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writer by heart.....not by profession..
मोठ्या मोठ्या गोष्टी छोट्या स्वरूपात सांगायची ताकद ... read more
मोठ्या मोठ्या गोष्टी छोट्या स्वरूपात सांगायची ताकद ... read more
Joined 20 July 2019
9 FEB 2023 AT 0:15
7 FEB 2023 AT 22:06
विसावली वेळ अन्
निजू लागली पापणी;
धावत्या ह्या जगासोबत
धावू लागली लेखणी...-
4 NOV 2022 AT 0:43
;
वक्त को संभालना जरुरी है...
सपने तो कोई भी पुरे कर ले; बस
दिल मे अरमानो का होना जरुरी है.-
10 JUL 2022 AT 11:09
लोटली वर्षे वारीची;
तरी तुझ्या भेटीची आस...
शोधे नजर आजही;
कधी भेटशील हाच ध्यास...-
30 JUN 2022 AT 23:17
बरसला मेघ अन्,
चिंब भिजली लेखणी...
रिमझिमत्या ओल शब्दांनी;
मृदगंध दरवळला अंगणी...-
22 MAY 2022 AT 0:59
,
धुंदलीसी है; फिर भी वो मंजिल को पाना है...
अरमानो से बुलंद कश्ती लेकर;
फिर वही,
पुराने सपनो के गाव जाना है...-
22 MAY 2022 AT 0:10
कागज के पास होकर भी कलम रुक जाती है....
कहने को तो अतूट हे इनकी दोस्ती....
फिर भी;
कई काहानिया वो क्यों लिख नही पाती है ?-
5 FEB 2022 AT 20:25
थांबली लेखणी;
विसावा शब्दांचा....
आतुरला जीव आता;
रित्या कागदांचा....-