Nandini Hatkar   (✍नंदिनी हाटकर©)
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Joined 20 July 2019


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9 FEB 2023 AT 0:15

किसी कागज की कश्ती बनाना...
उसे डूबने से बचाना; उतनाही मुश्किल है...

कितना आसान है...
कई बाते ना समझना...
किसी को समझ लेना; ही तो ज्यादा मुश्किल है...

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7 FEB 2023 AT 22:06

विसावली वेळ अन्
निजू लागली पापणी;
धावत्या ह्या जगासोबत
धावू लागली लेखणी...

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4 NOV 2022 AT 0:43

;
वक्त को संभालना जरुरी है...

सपने तो कोई भी पुरे कर ले; बस
दिल मे अरमानो का होना जरुरी है.

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10 JUL 2022 AT 11:09

लोटली वर्षे वारीची;
तरी तुझ्या भेटीची आस...
शोधे नजर आजही;
कधी भेटशील हाच ध्यास...

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30 JUN 2022 AT 23:17

बरसला मेघ अन्,
चिंब भिजली लेखणी...

रिमझिमत्या ओल शब्दांनी;
मृदगंध दरवळला अंगणी...

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22 MAY 2022 AT 0:59

,
धुंदलीसी है; फिर भी वो मंजिल को पाना है...

अरमानो से बुलंद कश्ती लेकर;
फिर वही,
पुराने सपनो के गाव जाना है...

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22 MAY 2022 AT 0:10


कागज के पास होकर भी कलम रुक जाती है....

कहने को तो अतूट हे इनकी दोस्ती....
फिर भी;
कई काहानिया वो क्यों लिख नही पाती है ?

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14 MAR 2022 AT 23:46

बस... अब सही रास्ता चुनना है.....

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5 FEB 2022 AT 20:25

थांबली लेखणी;
विसावा शब्दांचा....
आतुरला जीव आता;
रित्या कागदांचा....

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1 SEP 2021 AT 19:53

प्रतिभेला कधीच
वाट पहावी लागली नसती....

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