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मैंने कब कहा मेरे✍️ अल्फाजों की कदर होनी चाहिए।
बस पढ़ने के बाद💓 दिल पे थोड़ा असर होना चाहिए ।।-
तोड़ो न तुम आईने..
चेहरे हजार दिखेंगे..
अभी तो हम सिर्फ एक है..
फिर बेशुमार दिखेंगे..-
उसने भी कभी नहीं कहा मै तेरा हूं
मेरा होते तो यू रूलाते नहीं
और हम अपने आंसूओं को छुपाते नहीं
दिल में गम आंखों में नमी लेकर मुस्कुराते नहीं
हमें तन्हा छोड़ जाते नहीं-
रूबरू मिलोगे मुझसे तो कायल हो जाओगे !
दूर से तो ज़रा मै मगरूर सी लगती हूँ !!-
अल्फ़ाज़ है किसी न किसी रूप में ही सही निकलें तो सही । कभी लफ्ज़ बन कभी दर्द बन आंसुओं के रूप में निकलने ही चाहिए वरना सैलाब सबको ले डूबता है इससे बढ़िया है कि थोड़ा थोड़ा सा ही बह जाए ख़ामोश रह कर ही कुछ बोल पाएं।इस तरह
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कमान से निकला हुआ तीर, और मुख से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं आता इस लिए जो भी शब्द बोलना चाहिए सोच समझ कर बोलना चाहिए।
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बड़े बेताब थे वो, मोहब्बत करने को मुझसे...
जब हमने भी कर ली तो, उनका शौक बदल गया..!!-
जरूरी नहीं इश्क मे बाहों के सहारे ही मिले
किसी को दिल में जी भर के महसूस करना भी मोहब्बत है-