आज में रह कर भी सबने कल का हिसाब लगा रखा है।
अपनी बुजदिली के आगे बेबसी का जवाब लगा रखा है।
हम कहाँ शामिल हैं उन में, जिन्हें चाह हो किसी की
हमने सीने से किसी के नाम का अज़ाब लगा रखा है।
जिन में है गुंजाइश बेहतरी की, वो आज भी दुआ करते हैं
हमने अपनी मर्ज़ी से रूह पर,मोहब्बत का दाग़ लगा रखा है।।
-